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चुप थे साहिब आप तो,जब हम रोये रोज,
भूख बिलखते लाल थे,आप घरो थी मौज,
तन बेचे उदरा भरे,सन्तानो का माय,
अपने ही इस देश मे,रोये माता गाय,
बाबुल बूढ़ा बैल है,निरिह गाय सम माय,
बहु बेटो के राज में,सिमट सिमट मर जाय,
चौकस रह कर चौकसी, हर तरफ़ है चोर,
निज मन ही धोखा करे,काहे चूके और,
-गोविन्द हाँकला
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चुप थे साहिब आप तो,जब हम रोये रोज,
भूख बिलखते लाल थे,आप घरो थी मौज,
तन बेचे उदरा भरे,सन्तानो का माय,
अपने ही इस देश मे,रोये माता गाय,
बाबुल बूढ़ा बैल है,निरिह गाय सम माय,
बहु बेटो के राज में,सिमट सिमट मर जाय,
चौकस रह कर चौकसी, हर तरफ़ है चोर,
निज मन ही धोखा करे,काहे चूके और,
-गोविन्द हाँकला
चुप थे साहिब आप तो,जब हम रोये रोज,
भूख बिलखते लाल थे,आप घरो थी मौज,
तन बेचे उदरा भरे,सन्तानो का माय,
अपने ही इस देश मे,रोये माता गाय,
बाबुल बूढ़ा बैल है,निरिह गाय सम माय,
बहु बेटो के राज में,सिमट सिमट मर जाय,
चौकस रह कर चौकसी, हर तरफ़ है चोर,
निज मन ही धोखा करे,काहे चूके और,
-गोविन्द हाँकला
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