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03 मई 2013

स्वतंत्र प्रेस के पहले नायक हिक


पटना [विनय मिश्र]। जेम्स अगस्टस हिकी भारत के प्रथम पत्रकार थे, जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश सरकार से संघर्ष किया। उनके बाद यह सूची लंबी है। हजारों पत्रकारों ने विदेशी और देसी शासन के खिलाफ संघर्ष जारी रखा, ताकि कलम स्वतंत्र रहे। आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारत में स्वतंत्र प्रेस के अगुआ हिकी के बहाने महान कलमवीरों को हमारी श्रद्धाजलि..।
प्रेस की स्वतंत्रता पर बहस बड़ी पुरानी है। शायद इस बहस की उम्र उतनी है, जितनी प्रेस की है। भारत में समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष आज से लगभग 232 साल पहले कोलकाता में समाचार पत्र के प्रकाश के साथ ही शुरू हुआ था। उस संघर्ष के नायक थे बंगाल गजट के संस्थापक-संपादक जेम्स अगस्टस हिकी। वो थे तो ब्रिटिश नागरिक, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के दमनकारी उपायों के खिलाफ उन्होंने डटकर संघर्ष किया।
भारत का पहला समाचार पत्र
बंगाल गजट दो पन्नों का साप्ताहिक था, जो पहली बार कोलकता में शनिवार 29 जनवरी 1780 को प्रकाशित हुआ। इसके संस्थापक-संपादक-प्रकाशक हिकी का डिक्शनरी आफ नेशनल बायोग्राफी में जिक्र नहीं है। यह भी नहीं पता कि वे कहा पैदा हुए। बंगाल आबीचुअरी में भी उनका जिक्र नहीं है। हा, एचई ए काटन की पुस्तक कलकत्ता ओल्ड एंड न्यू [1907] में इतना जरूर उल्लेख है कि भारत में उनका कार्यकाल लालबाजार की जेल में समाप्त हो गया।
उनके साहस के चर्चे अवश्य कई किताबों में मिलते हैं। बस्तीड ने पहले भारतीय समाचार पत्र का जीवन और मृत्यु शीर्षक पुस्तक का एक अध्याय हिकी के बारे में लिखा है और उन्हें भारतीय प्रेस का अगुआ बताया है। मार्गरेट बर्न्स ने अपनी पुस्तक भारतीय प्रेस - भारत में जनमत के विकास का इतिहास [1940] में इस व्यक्ति के बारे में लिखा है कि उसने बड़ा साहस दिखाया और बहुत कुछ खोया। लेकिन उनका नाम अमर रहेगा। आज हिकी अमर हैं, लेकिन उनका चित्र धूमिल रह गया।
दरअसल हिकी के चार पृष्ठों के 12 स्तंभ कंपनी सरकार के सिरदर्द थे। प्रत्येक पृष्ठ पर तीन स्तंभ होते थे। उसमें कंपनी के सर्वोच्च अधिकारी तक के खिलाफ तीखे व्यंग्य प्रकाशित किए जाते थे। तीखे व्यंग्य कभी-कभी अश्लील भी हो गए। हेस्टिंग्स और इंपे जैसे अधिकारियों के खिलाफ गाली-गलौज वाली आलोचना के पक्ष में हिकी ने सफाई दी थी कि - पत्र का संपादक यह मानकर चलता है कि एक-एक नागरिक और स्वतंत्र सरकार के लिए समाचार पत्र की आजादी आवश्यक है।
प्रजा को अपने सिद्धात और मत व्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए और उस आजादी पर अंकुश लगानेवाला प्रत्येक कार्य दमनकारी और समाज के लिए घातक कहलाएगा।
जून 1781 में हेस्टिंग्स ने इंपे को आदेश दिया कि हिकी को गिरफ्तार कर लिया जाये। तुरंत हिकी को सशस्त्र बल ने घेर लिया, हालाकि वे डरे नहीं। उन्होंने साहसपूर्वक कहा कि आप मुझे इस तरह घसीटकर नहीं ले जा सकते। उन्होंने गिरफ्तारी का वारंट भी दिखाने को कहा, लेकिन अदालत उठ चुकी थी। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
अगले दिन उच्चतम न्यायालय ने गवर्नर जनरल द्वारा उस पर लगाए गए आरोप को लेकर जवाब-तलब किया। जब वह अपनी जमानत के लिए 80 हजार रुपये नहीं दे सके, तो जेल भेज दिया गया। अगले वर्ष हिकी को एक वर्ष जेल की सजा दी गई और 2 हजार रुपये का जुर्माना किया गया।
संपादक के जेल जाने के बाद कुछ समय तक तो गजट निकलता रहा। लेकिन मार्च 1782 में एक आदेश द्वारा प्रेस को जब्त कर लिया गया। और इस प्रकार भारत का पहला समाचार पत्र और स्वतंत्र प्रेस का अगुआ बंद हो गया। हिकी ने साहस के साथ लोहा लिया और उनका प्रेस तभी बंद हुआ, जब उसे जब्त कर लिया गया।
उस समय भी उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता की बात कही थी, जबकि वह जेल में थे और अपने बीवी बच्चों की देखभाल करने में असमर्थ थे।
-क्यों मनाया जाता है प्रेस स्वतंत्रता दिवस :-
प्रत्येक वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार इस दिन प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धात, प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्याकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवाददाताओं को श्रद्धाजलि देने का दिन है।

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