आपका-अख्तर खान

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02 मई 2013

किसी के लिए अमृत

किसी के लिए अमृत
तो किसी के लिए ज़हर है जिंदगी
किसी के लिए शब
तो किसी के लिए सहर है जिंदगी
किसी के लिए गुल
तो किसी के लिए जार है जिंदगी
मगर फिर भी नाशाद
चलते रहने का ही नाम है जिंदगी
चलने से तय है मंजिल
हर सफ़र का यही अंजाम है जिंदगी
= नरेश नाशाद

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