अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 801वें
उर्स के बड़े कुल की रस्म सोमवार को अदा की जाएगी। बड़े कुल में शरीक होने
के लिए शनिवार को भी खासी तादाद में अकीदतमंद पहुंचे। इधर दरगाह क्षेत्र
में रौनक बनी हुई है और किन्नरों के अलग-अलग समूह जुलूस के रूप में चादर
लेकर दरगाह पहुंच रहे हैं। दिल्ली के एक किन्नर ने पांच किलो चांदी का कलश
धूमधाम से पेश किया।
आज भी सुबह से ही चादरों के जुलूस दरगाह पहुंचने का सिलसिला शुरू हो
गया था। फव्वारा सर्किल से जायरीन के विभिन्न समूह खूबसूरत और आकर्षक
चादरों को जुलूस के रूप में लेकर रवाना हुए। ढोल ढमाकों के बीच निकले
जुलूसों में खासी तादाद में आशिकान ए ख्वाजा शरीक हुए।
ख्वाजा का दामन नहीं छोड़ेंगे, मेरा ख्वाजा हिंद का राजा, नारा ए
तकबीर अल्लाह ओ अकबर समेत विभिन्न सदाएं लगाते हुए जायरीन चल रहे थे। जुलूस
में खासी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए। गंज, देहली गेट और
दरगाह बाजार होते हुए जुलूस दरगाह पहुंचे। इन जायरीन ने अपने-अपने दुआगो की
वकालत में ये चादरें गरीब नवाज की मजार पर पेश कीं और मन्नत मांगी।
किन्नरों की चादरें भी पहुंचने लगीं
इधर दोपहर बाद देश के विभिन्न हिस्सों से आए किन्नर भी अलग-अलग जुलूस
के रूप में चादर लेकर दरगाह पहुंचे। धानमंडी व मोती कटला से शुरू हुए
जुलूसों में कुछ किन्नर ढोल ढमाकों की थाप पर थिकरते हुए चल रहे थे।
किन्नरों की चादरों के जुलूस को देखने के लिए दरगाह बाजार में खासी भीड़
जमा हो गई। बाजार में स्थित विभिन्न गेस्ट हाउस और मकानों के झरोखों में भी
लोग जमा थे। इधर मकानों व गेस्ट हाउस में रह रहे किन्नरों ने चादरों के
जुलूस के दौरान नोट लुटाए और इन्हें लूटने के लिए लोगों में होड़ लगी नजर
आई। जैसे ही जुलूस दरगाह के सामने पहुंचता, किन्नर अदब में सिर ढंक लेते और
चादर को आस्ताना शरीफ चढ़ाने के लिए ले जाते।
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