आपका-अख्तर खान

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03 मई 2013

~~~~हिचकी ~~~



बेतार का तार है यह हिचकी ,
कोर्डलेस फोन है यह हिचकी,
दिल से दिल का प्यार है यह हिचकी ,
अपनों का विश्वास है यह हिचकी !

हिचकी आज माँ को आई
आंगन में उदासी छाई
चिठ्ठी होती तो बांच लेती
फोन होता तो बतिया लेती
हिचकी ने बड़ा दी माँ की सिसकी
याद तो किया है बेटी ही ने
कोई दुःख न हो भारी
घर में फैली न हो कोई महामारी
सास देती न हो कभी ताने
जिगर के टुकड़े को कैसे दूंगी सताने
छोटे से घर में कैसे रहते होंगे सुकडे
पाहुने वकील होकर अकड़े
दहेज तो मैंने भी दिया था तगड़ा
फिर काहे का है झगड़ा
तलाक दिलाकर मिटा देती हूँ सारा रगडा
सिसकियों में फिर आई एक हिचकी
माँ की आँखें भर -भर आयीं
बच्चे आँगन में डाल रहे थे भंगड़ा !

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