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25 मई 2013

मुंह बंद रखने के लिए पुलिस ने दी 5.50 लाख की ‘घूस’



 
बांसवाड़ा। पाटन थाने में पुलिस कस्टडी में दुष्कर्म के आरोपी भोराज गांव निवासी टिटिया की मौत को दबाने के लिए पुलिस द्वारा मृतक टिटिया के परिवार को 5.50 लाख रुपए देने का खुलासा हुआ हैं। इस राशि में से पीड़ित परिवार तक केवल 4 लाख रुपए पहुंचे हैं तथा शेष 1.50 लाख रुपए की राशि बिचौलियों ने हड़प लिए हैं।
जानकारी मिली है कि यह राशि देकर पुलिस ने मृतक के परिवार पर यह दबाव बनाया कि वे इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे। यह भी पता चला है कि इस राशि के लेन-देन के मौके पर बिचौलियों के माध्यम से पुलिस ने खाली कागजों पर टिटिया के पिता व पत्नी से अंगूठे भी लगवा लिए हैं।
टिटिया की मौत पाटन थाने में 5 मई कोपुलिस कस्टडी में उस समय हुई थी, जब एसपी स्वयं थाने में मौजूद थे। ऐसी स्थिति में पुलिस ने चारों ओर से अपने आपको घिरते देख स्वयं को बचाने के लिए यह राशि दी। यह पता नहीं चल पाया कि इस राशि का इंतजाम कहां से और किसने किया। 
बिचौलियों ने पहुंचाई राशि
यह राशि मृतक के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस द्वारा बिचौलियों के माध्यम से परिवार तक नकद पहुंचाई गई। पुलिस को इस बात का डर था कि टिटिया का परिवार आगे कार्रवाई करेगा तो पूरे थाने का स्टाफ फंस जाएगा। इसी वजह से गांव के लक्ष्मण लाल तथा जिथिंग  भाई (पूर्व सरपंच पति), भीमा भाई पूर्व प्रधान आदि के माध्यम से पुलिस ने यह राशि मृतक की पत्नी तक पहुंचाई। पुलिस द्वारा मामले को दबाने के लिए की गई सौदेबाजी का पूरा खुलासा शनिवार को मृतक टिटिया के पिता भीला, पत्नी व उसके परिवार ने किया। 
पुलिस नहीं तो और कौन देगा पैसा
बिचौलिये की भूमिका अदा करने में शामिल जिथिंग भाई ने बताया कि पुलिस कस्टडी में मौत हुई थी, तो राशि भी पुलिस ही देगी। इसके अलावा कौन देगा। भास्कर से बातचीत में जिथिंग भाई ने यह भी भरोसा जताया कि मृतक का परिवार अब कोई कार्रवाई नहीं करेगा। पुलिस द्वारा 5.50 लाख रुपए देने की पुष्टि करते हुए बताया कि अभी मजिस्ट्रेट जांच चल रही हैं। दूसरी ओर मृतक का मामा भूरिया सिंघाड़ा ने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह राशि मृतक की पत्नी के नाम से बैंक में रखी हुई हैं। अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर रुपए आए कहां से? (भास्कर के पास सारी बातचीत की रिकॉर्डिग है।)
20 हजार में ही निपटाना चाहती थी मामला
टिटिया के पिता भीला ने बताया कि पुलिस तो इस पूरे मामले को बिचौलियों के द्वारा केवल 20 हजार रुपए में ही निपटाना चाहती थी, लेकिन एमपी के एक रिश्तेदार की वजह से बात नहीं बनी। परिवार चाहता था कि शव को पाटन थाने में ही जलाया जाए, लेकिन कुछ लोगों के दबाव तथा बिना बताए ही शव को गांव में लाया गया। इससे पहले पुलिस की ओर से यह कहलाया गया कि 20 से 25 हजार रुपए ले लो तथा रीति रिवाज के अनुसार कार्यक्रम कर लो। इस बीच मृतक का मामा भूरिया सिंघाड़ा (एमपी की ग्राम पंचायत मकोड़िया के सरपंच) ने हस्तक्षेप किया तथा आगे सीएम तक बात पहुंचाने का दबाव बनाया। तब पुलिस ने स्वयं को फंसता देख आखिर 5.50 लाख रुपए में मामले को दबाने का सौदा कर लिया।
स्वयं को फंसता देख पुलिस ने ही दिया मौताणा
जब पुलिस पर आ पड़ी तो पुलिस ने मृतक के परिवार पर दबाव बनाकर सौदा किया। मौताणा को सामाजिक अपराध मानने वाली पुलिस ने ही इस मौत को दबाने के लिए यह राशि दी। इस बात की पुष्टि सौदा करने में शामिल जिथिंग भाई एवं राशि को लेने वाले परिवार के लोग तथा मृतक के मामा स्वयं ने की है।
मुझे कोई जानकारी नहीं 
॥टिटिया के परिवार को ना तो मैंने कोई राशि दी है, ना ही मुझे इसके बारे में जानकारी है। जिसने राशि दी है उससे ही आपको बात करनी होगी। मैं अभी छुट्टी पर हूं। 
डीएस चुंडावत, एसपी

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