वाशिंगटन. अमेरिका के एक सरकारी आयोग ने अमेरिकी सरकार से कहा है कि वह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी
के वीजा पर बैन कायम रखे। आयोग के जिस पैनल ने अमेरिकी सरकार से यह
अनुशंसा की है, उसका कहना है कि इस बात के महत्वपूर्ण सुबूत मौजूद हैं कि
2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुए कत्ल-ए-आम में नरेंद्र मोदी की भूमिका थी।
यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने यह
अनुशंसा अपनी वार्षिक रिपोर्ट में की है। इस रिपोर्ट में भारत को टायर टू
देशों में रखा गया है। टायर टू देशों में भारत के अलावा अफगानिस्तान,
अजरबैजान, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, लाओस और रूस को रखा गया है।
काबिलेगौर है कि साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के समय नरोडा
पाटिया हत्याकांड मामले में पिछले साल अगस्त में फैसला आया था। अहमदाबाद
की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में 61 आरोपियों में से 32 को दोषी करार देते
हुए 29 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस हत्याकांड में 97 लोग मारे गए थे।
इस दंगों में राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी
को भी दोषी ठहराया गया था। इस मामले में 300 से ज्यादा लोगों ने गवाही दी
है। माया कोडनानी को अदालत ने 28 साल के लिए जेल भेज दिया है।
वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के वकील
ने पिछले महीने की 26 तारीख को कहा कि मोदी ने कभी नहीं कहा कि जाइए और
लोगों की हत्या कीजिए। एसआईटी ने जकिया जाफरी की शिकायत की जांच करने के
बाद 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले में गुजरात के
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी। एसआईटी के वकील आरएस जमुआर
ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और अन्य ने मुख्यमंत्री को
निशाना बनाकर झूठी शिकायत दर्ज करवाई। मुख्यमंत्री ने कभी भी जाकर लोगों की
हत्या करने की बात नहीं कही।
इससे पहले पिछले साल वाशिंगटन के कैपिटल हिल में गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया
ने आरोप लगाया था कि वह जानती हैं कि उनके पति की हत्या के लिए नरेंद्र
मोदी जिम्मेदार हैं। उन्हें मालूम है कि जब उनके पति ने मोदी को फोन किया
तो जवाब मिला था- जाफरी अब तुम अकेले हो। खुद को बचा सको तो बचा लो। इस
मौके पर ‘नरसंहार के खिलाफ गठबंधन नामक’ संगठन की ओर से हैदर खान ने कहा कि
गुजरात में विधायक माया कोडनानी और पूर्व मंत्री अमित शाह को दोषी ठहराए
गए हैं। इससे सिद्ध हो गया कि दंगों में मोदी प्रशासन का हाथ था।
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