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19 अप्रैल 2013

दोस्तों किसी ने कहा है के में तो अकेला ही चला था अपनी जानिबे मंजिल लोग मिलते गए और कारवाँ बनता चला गया .

दोस्तों किसी ने कहा है के में तो अकेला ही चला था अपनी जानिबे मंजिल लोग मिलते गए और कारवाँ  बनता चला गया ..जी हा दोस्तों यह बात पंजाब के कुरुशेत्र से आये दया सिंह जी के लियें शत प्रतिशत लागु होती है वोह देश में अमन चेन सुकून चाहते है और इसीलियें हक्के अमन के नाम से राईट टू  पीस के अधिकार की मांग को लेकर देश भर के लोगों में अमन का पैगाम बांटने के लियें निकल पढ़े है ..अकेले सत्तर वर्षीय दया सिंह पिछले दो सालों से इस यात्रा पर है इन्होने पहले वर्ष दो हजार ग्यारह में यह यात्रा निकाली फिर बारह में निकाली अब फिर से पन्द्राह से बाईस अप्रेल तक की यह संक्षिप्त यात्रा दिल्ली से निकल कर जयपुर अलवर कोटा होते हुए बाईस अप्रेल को अजमेर के पुष्कर में समाप्त होगी .....दया सिंह अपनी इस यात्रा का संदेश देने आज कोटा प्रवास पर थे उन्होंने देश भर के उलेमा ..देश भर के सियासी लोगों की नब्ज़ टटोली है और इस नतीजे पर पहुंचे है के देश में अगर तरक्की चाहिए ..देश में अगर इंसाफ चाहिए ..देश में अगर सुरक्षा चाहिए ..सुकून चाहिए तो सभी लोगों को हक्के अमन जो उनका संवेधानिक अधिकार है देना होगा और इसके लियें हमारे देश के नागरिकों को भी जागरूक होकर अपने इस अधिकार को हांसिल करने के लियें अपने कर्तव्यों को निभाना होगा ...उन्होंने कहा के देश के पचियांनवे फीसदी से भी ज्यादा लोग अमन चेन सुकून चाहते है केवल पांच प्रतिशत लोग देश का माहोल बिगाड़ रहे है उनका कहना है के इन पांच फीसदी लोगों को हम सब मिलकर अमन चेन के रस्ते पर चलने के लियें मजबूर कर सकते है ..उन्होंने कहा के राजस्थान में सद्भाविक माहोल है कोटा की फिजा अमन सुकून की है जो यहाँ बनी रहे ...इस मामले में शीघ्र ही राज्यस्तर की एक सेमिनार हक्के अमन पर कोटा या जयपुर में आयोजित की जायेगी ....उनके साथ कानपूर के रामसिंह यादव एडवोकेट भी थे ..कोटा में राजस्थान मदरसा बोर्ड के सदस्य डोक्टर इकराम खान ....मोमीन कोंफ्रेंस के हाजी अब्दुल रजाक अंसारी ...रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य हाफिज रशीद कादरी ...राजस्थान वक्फ विकास परिषद के सदस्य वफाती खान ..एडवोकेट अख्तर खान अकेला ...पेरातिचर्स संघ के रमीज़ राजा .....युवा कोंग्रेसी शाहनवाज़ अली ..सहित सभी सिक्ख और मुस्लिम भाइयों ने उनका स्वागत किया उन्होंने कहा के मुस्लिम  और सिक्ख तबका ही देश में अमन चेन बिगड़ने से सबसे ज्यादा आहत हुआ है ....और किसी  भी घटना को लेकर सिक्ख और मुस्लिम समुदाय के लोगों को शक के घेरे में लेकर शर्मसार किया जाता है इससे सभी की भावनाए आहत होती है अब इस विचार में बदलाव की जरूरत है .. जी हाँ दोस्तों दया सिंह इसी अमन यात्रा में अकेले निकले थे लेकिन अब उनका अमन का पैगाम एक करवा एक विचार एक मिशन बन गया है और देश इस सच को जानने लगा है के देश की तरक्की एकता और अमन सुकून में है ..देश में प्रत्येक व्यक्ति को अगर अमन शांति का संवेधानिक अधिकार मिला तो देश फिर से सोने की चिड़िया बनने की तरफ बढ़ जाएगा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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