दोस्तों कोटा में चम्बल नदी हो जो भीलवाड़ा तक की प्यास बुझा रही हो और कोटा
के ही लोग चम्बल तट पर रहने के बाद भी प्यासे रहकर बूंद बूंद पानी को तरसे
तो क्या कहिये ..जी जनाब कोटा के लोगों का यही हाल है यहाँ के अधिकारी
वाटर मेनेजमेंट में फेल है और नेता लोग कोटा का पानी बाहर भेजने की कोशिशों
में कोटा वालों को बूंद बूंद पानी के लियें आंसुओं से रुला रहे है ...कोटा
में वाटर वर्क्स है यहाँ पानी के प्लांट है ..पानी है लेकिन जलदाय विभाग
के अधिकारीयों को ठेकेदारों से फुर्सत नहीं है हालात यह है के बहर की नये
कोटा की बस्तियों का तो बुरा हाल है ही सही लेकिन जहाँ कभी चोबीस घंटे पानी
आया करता था अब वहां पानी का प्रेशर कम कर दिया गया है नतीजन केथुनीपोल
..श्रीपुरा ..बाबरापड़ा और पाटनपोल जेसी बस्तियों में पानी को लोग तरसने लगे है .....वेसे
भी बरसात के पानी को फिर से जमीन में जज्ब करने की योजना बेकार है यहाँ
सडकों के जरिये सारा बरसात का पानी नालियों के जरिये बहकर नदी में बह जाता
है और इसीलिए कोटा का जलस्तर घटकर निरंतर घातक स्थिति में पहुंच रहा है
..इतना सब होने के बाद भी कोटा के कोंग्रेस और विपक्ष के नेता जिंदाबाद हो
रहे है और जनता के आंसू तक पहुंचने की उनकी फुर्सत नहीं है ..अब तक जल्दी
विभाग के लोगों के इस मामले में वाटर मेनेजमेंट के लियें कान तक नहीं उमेठे
गए है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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