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27 अप्रैल 2013

एडीजीपी बोले राजस्थान पुलिस की नीयत में खोट, बस बातों में होशियार, काम में है फिसड्डी


कोटा। ‘मैं आज यहां आपसे बातें करने आया हूं, सिर्फ बातें करूंगा, भाषण नहीं दूंगा।’ शुक्रवार को पुलिस लाइन में हुई बैठक के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नवदीप सिंह (लॉ एंड ऑर्डर) ने अपनी बात शुरू की और फिर बातों ही बातों में अफसरों से लेकर गनमैन तक पूरे पुलिस बल को करीब 1.30 घंटे तक वह सब सुनाया जो आम जनता की भाषा है।
 
उन्होंने उर्दू की कहावत बोलते हुए कहा कि राजस्थान पुलिस बातों में तो होशियार है लेकिन काम में फिसड्डी होती जा रही है। सारी सुविधाओं के बावजूद पुलिस प्रोफेशनल रूप से पिछड़ रही है, जो खेद का विषय है।
 
 
पहले यह बोले नवदीप सिंह  
अफसर कभी जेलों में जा रहे हैं (अजमेर एसपी मामला) तो कभी नो एंट्री की जगह 200 रुपयों (जयपुर का मामला) में एंट्री हो जाती है।
 
राजस्थान में 79 हजार पुलिस बल जनता के बीच रहता है। ये जो करते हैं, जनता पुलिस को वैसा ही मानती है। ऐसी घटनाओं से लगता है कि पुलिस की नीयत में खोट आ गई है।
 
रक्षक पुलिस भक्षक बन बैठी है। हमने खुद अपनी सिंह जैसी छवि को धूमिल किया है, अब हमें इसे जमाने के हिसाब से बदलना होगा।
 
 
फिर अफसरों से गनमैन तक को यूं बांधा परिभाषा में
सीआई व अफसर 
शहर में 21 से ज्यादा चिन्हित भगोड़े घूम रहे होंगे। पता नहीं क्यूं ये उन्हें पकड़ने में दिलचस्पी नहीं लेते। इनकी आदत बिजली गिरने पर काम करने जैसी पड़ चुकी है। 
 
आईओ 
हिस्ट्रीशीटर की एफआईआर और चार्जशीट कंपलीट होना तो दूर इनके पास उसके घर का नक्शा तक नहीं रहता। हिस्ट्रीशीट पर हस्ताक्षर किसके हैं, यह भी नहीं पहचानते। 
 
बीट कांस्टेबल 
अपने हाथ से कोई एंट्री नहीं करते। 
 
जवान
जवानों को पीटी-परेड का अभ्यास नहीं रहा। बस वर्दी सही होनी चाहिए। 
 
ड्राइवर 
इनके पास शहर का रोडमैप ही नहीं रहता। अफसर को असिस्टेंट बनकर रास्ता दिखाना पड़ता है। 
 
गनमैन  
किसी ने 10 सालों से बंदूक चलाने का अभ्यास ही नहीं किया होगा। चाहे तो पूछ लो।

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