वो इक नन्हां सा फूल
सहम जाता है
आने से तुम्हारे !!
किसी पात में मुहं छुपा
चाहता है मुस्कुराना ...
कितनी कड़ी धूप आते हो लेकर ..
डरता है मन
पास आने से तुम्हारे .!!
ए प्यार तुम .
किसी तन जलाते सूरज से कम नहीं
तुम्हारी छुअन
कई बार
खुशबू समेट देती है ..//
वो इक फूल
बिखर कर पूछता है
ए प्यार..
तुम्हें ईश्वर कहूं कैसे .??
—
वो इक नन्हां सा फूल
सहम जाता है
आने से तुम्हारे !!
किसी पात में मुहं छुपा
चाहता है मुस्कुराना ...
कितनी कड़ी धूप आते हो लेकर ..
डरता है मन
पास आने से तुम्हारे .!!
ए प्यार तुम .
किसी तन जलाते सूरज से कम नहीं
तुम्हारी छुअन
कई बार
खुशबू समेट देती है ..//
वो इक फूल
बिखर कर पूछता है
ए प्यार..
तुम्हें ईश्वर कहूं कैसे .??
—सहम जाता है
आने से तुम्हारे !!
किसी पात में मुहं छुपा
चाहता है मुस्कुराना ...
कितनी कड़ी धूप आते हो लेकर ..
डरता है मन
पास आने से तुम्हारे .!!
ए प्यार तुम .
किसी तन जलाते सूरज से कम नहीं
तुम्हारी छुअन
कई बार
खुशबू समेट देती है ..//
वो इक फूल
बिखर कर पूछता है
ए प्यार..
तुम्हें ईश्वर कहूं कैसे .??
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!! बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आने के लिए में माफ़ी चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग