आपका-अख्तर खान

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15 अप्रैल 2013

हर बात पर बहस हर बात पर लड़ाई


हर बात पर बहस
हर बात पर लड़ाई
तुम ऐसे तो नहीं थे - कभी
ये कहाँ से सीख लिया भाई .

माना देश बेदम है -
मगरमच्छ से नेता
मछलियों से हम हैं - पर
पोखर तो हमारा ही है -
और हम कहाँ इनसे कम है .

लगान देते हो -
या फिर बचा लेते हो -
पूरी साहूकारी से .
मालिक हो पर -
अपने वेतन भोगी
नौकर से डरते हो .

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