आपका-अख्तर खान

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13 अप्रैल 2013

...........याद तुम आते रहे इक हूक़ सी उठती रही

..............याद तुम आते रहे इक हूक़ सी उठती रही
नींद मुझसे, नींद से मैं भागती छुपती रही
रात भर बैरन निगोड़ी चाँदनी चुभती रही
आग सी जलती रही, गिरती रही शबनम, आप की क़सम .............

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