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30 अप्रैल 2013

कोर्ट ने कहा, बेटे-बहू पर नजर रखने के लिए घर में लगओ कैमरे



जोधपुर।  बेटे-बहू की प्रताडऩाओं से दुखी एक वृद्धा विमला धारीवाल की निगरानी के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। अपने बचाव में बेटे ने ही वकील के मार्फत अदालत में कहा था कि वह घर में कैमरे लगाने को तैयार है, ताकि यह देखा जा सके कि घर में दोनों पक्षों के बीच कुछ गलत तो नहीं हो रहा। अदालत ने इन कैमरों का खर्च बेटे को ही वहन करने को कहा है।इलाके के थानाधिकारी हर 15 दिन में फुटेज देख बनाएंगे रिपोर्ट

अदालत ने आदेश दिया कि थानाधिकारी 15 दिन में एक बार इन कैमरों के फुटेज देख कर रिपोर्ट बनाएंगे कि बेटा-बहू मां के साथ दुव्र्यवहार तो नहीं कर रहे। यदि मां के प्रति किसी तरह की घरेलू हिंसा होती है तो थानाधिकारी एसीजेएम (आर्थिक अपराध), जोधपुर को रिपोर्ट करेंगे। एसीजेएम मां की सुरक्षा के लिए आवश्यक आदेश जारी कर सकेंगे। यह निर्णय न्यायाधीश संदीप मेहता ने महामंदिर क्षेत्र में धारीवालों का मोहल्ला निवासी 72 वर्षीय महिला विमला पत्नी स्व.शांतिलाल धारीवाल की निगरानी याचिका का निस्तारण करते हुए दिया। उन्होंने अपने पुत्र अरुण, उसकी पत्नी, दो पुत्रियों और एक पुत्र के विरुद्ध घरेलू हिंसा मामले में  निगरानी याचिका दायर की थी। अदालत ने अरुण को अपनी मां को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह पांच हजार की बजाय आठ हजार रुपए देने के आदेश भी दिए हैं।
संपत्ति पर कब्जे और मां को प्रताडि़त करने का आरोप है पुत्र पर: विमला धारीवाल की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता नदीश सिंघवी ने बताया कि उनके पति शांतिलाल धारीवाल की गोल बिल्डिंग सरदारपुरा क्षेत्र में व्यावसायिक और महामंदिर में आवासीय संपत्ति है। अपनी मृत्यु से पहले शांतिलाल ने वसीयत के जरिए दोनों संपत्ति विमला के नाम कर दी थी। पिता की मृत्यु के बाद अरुण ने सरदारपुरा स्थित व्यावसायिक संपत्ति पर कब्जा कर लिया और वहां आइसक्रीम पार्लर चला रहा है।

साथ ही वह अपने परिवार सहित महामंदिर स्थित घर में आकर रहने लग गया और मां को प्रताडि़त कर घर से निकालने का प्रयास कर रहा है। इस संबंध में वर्ष 2009 में अधीनस्थ अदालत में परिवाद भी दायर किया गया था। सिंघवी का कहना था कि अरुण अभी अपनी मां को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह पांच हजार रुपए दे रहा है, जो काफी कम राशि है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजलक्ष्मी ने पैरवी की।

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