सिओल/वाशिंगटन। उत्तर कोरिया ने गुरुवार
को पूर्वी तट पर परमाणु मिसाइल मुसुदन तैनात करने के बाद अपने यहां विदेशी
दूतावासों के कर्मचारियों को हालात बिगड़ने पर देश छोड़ने को तैयार रहने
को कहा है। रूसी विदेश मंत्रालय और चीन की शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक
उत्तर कोरिया ने प्योंगयांग में स्थित दूतावासों को 10 अप्रैल तक कार्यालय
बंद कर लेने की सलाह दी है। उत्तर कोरिया का कहना है कि अब युद्ध को टाला
नहीं जा सकता है।
कोरिया ने यह सलाह अमेरिका के दक्षिण कोरिया में सेना के जमावड़े के
बाद दी है। कोरिया ने परमाणु परीक्षण पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगाए
जाने के बाद युद्ध को टलने में असमर्थ बताया था। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय
के एक अधिकारी ने कहा है कि उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में यूरोपियन
यूनियन दूतावासों से दूतावास खाली करने की योजना के बारे में जानकारी मांगी
गई है। विएना कन्वेंशन के मुताबिक मेजबान देश को संघर्ष की स्थिति में
दूतावासों के कर्मचारियों को निकलने में मदद करनी पड़ती है। इससे पहले
शुक्रवार को रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उत्तर कोरिया ने बढ़ते
तनाव का कारण बताते हुए रूसी दूतावासों के कर्मचारियों को देश से निकलने का
प्रस्ताव दिया था। शिन्हुआ ने भी कहा था कि उत्तर कोरिया ने हालात बिगड़ने
पर दूतावासों के कर्मचारियों को देश से निकलने के लिए तैयार रहने को कहा
था।
उत्तर कोरिया की मिसाइल तैनाती के बाद पश्चिमी देशों में हड़कंप मच
गया है। मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक, तीन हजार किलोमीटर मारक क्षमता वाली
इस मिसाइल की जद में जापान, साउथ कोरिया और अमेरिका के कुछ सैन्य अड्डे भी आ
रहे हैं। नॉर्थ की इस कार्रवाई के बाद साउथ कोरिया के बाजार में भारी
गिरावट दर्ज की गई है।
वहीं अमेरिका ने कोरियाई प्रयाद्वीप में शांति बनाने की कोशिशों के
तहत शुक्रवार को जापान को एक अमेरिकी हवाई अड्डा लौटाने की घोषणा की।
अमेरिका और उत्तर कोरिया की बयानबाजी से प्रायद्वीप में तनाव काफी बढ़ गया
है। अमेरिकी और जापान ने शुक्रवार को एक समझौते की घोषणा की जिसमें दक्षिणी
जापानी प्रायद्वीप के ओकिनावा में बने फ्यूटेन्मा हवाई अड्डे को 2022 में
जापान को लौटाने की बात कही गई है। हालांकि ऐसा हवाई अड्डे के प्रायद्वीप
में ही किसी जगह पर नियोजित स्थानांतरण के होने पर हो सकेगा। जापान सरकार
ने 2009 में इस हवाई अड्डे को हटाने का वादा किया था लेकिन कम आबादी वाली
ऐसी कोई जगह नहीं मिल सकी थी। इस वजह से 2006 के समझौते का नवीनीकरण करना
पड़ा था।
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