चूंकि इस व्रत में एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन किया जाता है अत: इस व्रत को बसौड़ा, बसियौरा व बसोरा भी कहते हैं। इस दिन शीतला देवी की पूजा तथा व्रत किया जाता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
व्रत विधि
व्रती (व्रत करने वाली महिलाएं) को इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपटकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लें-
मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतला सप्तमी/ शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये ।
संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें। इसके बाद एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं।
इसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें और यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला माता की कथा सुनें। जगराता करें और दीपमालाएं जलाएं।
इस दिन व्रती को चाहिए कि वह स्वयं तथा परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गरम पदार्थ का सेवन न करे।
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