मुंबई : निवेशकों
को 24000 करोड़ से ज्यादा की रकम वापस लौटाने के मामले में सुब्रत राय
बुधवार को सेबी के ऑफिस पहुंचे। रॉय के साथ सहारा समूह से जुड़े 3
डायरेक्टर भी सेबी के दफ्तर पहुंचे। सेबी के अधिकारियों और सहारा के बीच
बातचीत में सुब्रत राय द्वारा अब तक जमा किए गए कागजों को वैरिफाई किया
गया।
सेबी के अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद बाहर आने पर सुब्रत राय ने
कहा कि उन्हें निवेशकों की चिंता है। सेबी को जल्द से जल्द निवेशकों की
पहचान करनी चाहिए। ताकि उन्हें उनका पैसा लौटाया जा सके। सहारा ने सेबी पर
सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सहारा पर उंगली उठाने से पहले सेबी को निवेशकों
के बकाये का भुगतान करना चाहिए।
सुब्रत के मुताबिक, पूछताछ में सेबी ने उनकी संपत्ति के बारे में
जानकारी मांगी और संपत्ति के बारे में सुनकर सेबी के अधिकारी भी घबरा गए
थे। बैठक के बारे में उन्होंने कहा, उम्मीद थी कि एक घंटे में एक चाय
मिलेगी लेकिन वह भी नहीं मिली।
आपको बताते चलें कि सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और कंपनी के कुछ
अन्य बड़े अधिकारियों को निवेशकों का धन लौटाने के चर्चित मामले में सेबी
ने उन्हें बुधवार को पेश होने का आदेश दिया था। यह मामला तीन करोड़ से अधिक
निवेशकों को कुल 24,000 करोड़ रुपए की राशि लौटाए जाने से जुड़ा है।
सेबी ने राय और सहारा के तीन अन्य निदेशकों को व्यक्तिगत तौर पर पेश
होने का निर्देश किया था ताकि वह उनकी व्यक्तिगत और उनकी कंपनियों की
संपत्तियों व निवेश के ब्यौरे की जांच कर सके और निवेशकों को धन वापस करने
के लिए उनकी अचल संपत्तियों की नीलामी की आगे की कार्रवाई की जा सके।
सेबी ने 26 मार्च को जारी अपने एक आदेश में उन्हें व्यक्तिगत तौर पर
हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। इसी आदेश में सहारा की दो कंपनियों और उनके
चार शीर्ष कार्यकारियों से आठ अप्रैल तक बाजार नियामक को अपनी संपत्तियों
और निवेश का ब्यौरा देने के लिए कहा था।
यह पता नहीं चल सका है कि आदेश के मुताबिक इन लोगों ने सेबी के समक्ष
सम्पत्तियों के ब्यौरे सौंपे हैं या नहीं। राय और उनके समूह के अन्य
अधिकारियों को सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत शरण के सामने पेश होने के
लिए कहा गया था। इन अन्य अधिकारियों में अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दूबे और
वंदना भार्गव के नाम हैं।
नियामक ने कहा था कि यदि ये लोग आदेश के मुताबिक सेबी के सामने पेश
नहीं हो पाते तो सेबी उनकी अनुपस्थिति में ही उनकी और उनकी कंपनियों की
परिसंपत्तियों की नीलामी की शर्तों का निर्धारण कर सकती है।
सहारा समूह ने समाचार पत्रों को जारी विज्ञापनों समेत विभिन्न
माध्यमों से सेबी और इसके उच्चाधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे सहारा प्रमुख
सुब्रत राय और अन्य को मिल कर अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दे रहे हैं।
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