आपका-अख्तर खान

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12 अप्रैल 2013

हेलो ..हाँ जी ....तुम्हीं से कह रही हूँ

हेलो ..हाँ जी ....तुम्हीं से कह रही हूँ
कुछ सुना क्या तुमने ....जो अभी अभी तुमने खुद कहा
नहीं सुना ना ...
सुनते भी कैसे
सुन लेते तो बोलते ही नहीं
जुबाँ बंद रखते मुंह खोलते ही नहीं
सोच रही थी आज कुछ ना कहूँगी
चुप ही रहूंगी ......पर आदत से मजबूर हूँ ना
चुप रहा ही नहीं जाता
देखो टोक दिया ना
कितने तिगडमबाज हो तुम भी ना
मुंह खोलने का कोई मौक़ा नहीं चूकते
खैर ....बोल लिए जो बोलना था
कर ली पूरी अपने दिल की भड़ास
सुना लिया ना जब जब भी मैं दिखी तुम्हें आसपास
और कुछ कहना है तो वो भी कह डालो
इंतज़ार है मुझे ....
कुछ भी कह लो ...सह जाती हूँ ..
क्योंकि तुमसे प्यार है मुझे ....
तुम्हारी तो फटकार की कुछ आदात सी हो आई है
अजी सुनते हो ...मुन्ने के पापा ...
तुम बोलते हुए ही अच्छे लगते हो ....
तुम्हारी चुप्पी से कुछ घबराहट सी होने लगती है मुझे
................बोलते रहा करो ...........अंजना

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