पता
नहीं कैसे ..जब देश में बलात्कारियो की भरमार है .. कोई देश से बलात्कार
कर रहा है .. कोई देशवासियों के जमीर से ... कही चीनी देश में घुस आते है
.. आतन्कवादी हमले हो जाते है लेकिन सरकार देश वासियों से बलात्कार में
व्यस्त है .. देश में दरिन्दे छोटे छोटे बच्चो पर दरिंदगी दिखा रहे है ..
आतंरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पुलिस नेताओं और दरिदो के मानवाधिकार के
लिए किस्से भी सीमा तक जाने के लिए स्वतंत्र है ...लोग गजले कविता लिखने
में मशगूल है .. उन्हें कब लगेगा की अगला नम्बर उनका भी हो सकता है ..?
उन्हें नो पोलिटिक्स कह कर क्या कल इन सब हालातो से गुजरना नहीं पडेगा ..
क्या तब भी वे नो पोलिटिक्स कह पायेगे ..? हम कब निकलेगे सड़को पर , कब
इकट्ठे होकर इन ड्रामेबाज निखट्टू लूटेरो से दो दो हाथ करेंगे ..? क्या अभी
भी हम किसी राम किसी कृष्ण , किसी दुर्गा के इंतज़ार में है ..? हम क्यों
किसी भगत सिंह किसी आजाद को पूजते है .. क्यों हम हमेशा किसी सुभाष के
इंतज़ार में रह जाते है ..?
कब तक हम यूं ही मूक दर्शक बने रहेगे ..?
कब तक..?
आखिर कब तक ..?
कोई तो सीमा होगी इस बेचारगी को त्यागने की ..?
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।....Arun Arora.
पता
नहीं कैसे ..जब देश में बलात्कारियो की भरमार है .. कोई देश से बलात्कार
कर रहा है .. कोई देशवासियों के जमीर से ... कही चीनी देश में घुस आते है
.. आतन्कवादी हमले हो जाते है लेकिन सरकार देश वासियों से बलात्कार में
व्यस्त है .. देश में दरिन्दे छोटे छोटे बच्चो पर दरिंदगी दिखा रहे है ..
आतंरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पुलिस नेताओं और दरिदो के मानवाधिकार के
लिए किस्से भी सीमा तक जाने के लिए स्वतंत्र है ...लोग गजले कविता लिखने
में मशगूल है .. उन्हें कब लगेगा की अगला नम्बर उनका भी हो सकता है ..?
उन्हें नो पोलिटिक्स कह कर क्या कल इन सब हालातो से गुजरना नहीं पडेगा ..
क्या तब भी वे नो पोलिटिक्स कह पायेगे ..? हम कब निकलेगे सड़को पर , कब
इकट्ठे होकर इन ड्रामेबाज निखट्टू लूटेरो से दो दो हाथ करेंगे ..? क्या अभी
भी हम किसी राम किसी कृष्ण , किसी दुर्गा के इंतज़ार में है ..? हम क्यों
किसी भगत सिंह किसी आजाद को पूजते है .. क्यों हम हमेशा किसी सुभाष के
इंतज़ार में रह जाते है ..?
कब तक हम यूं ही मूक दर्शक बने रहेगे ..?
कब तक..?
आखिर कब तक ..?
कोई तो सीमा होगी इस बेचारगी को त्यागने की ..?
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।....Arun Arora.
कब तक हम यूं ही मूक दर्शक बने रहेगे ..?
कब तक..?
आखिर कब तक ..?
कोई तो सीमा होगी इस बेचारगी को त्यागने की ..?
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।....Arun Arora.
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