दोस्तों एक कडवा सच है के देश में अगर प्रकाश सिंह बनाम उत्तरप्रदेश सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार पुलिस कार्य हो उसकी कार्यशेली हो तो निश्चित तोर पर देश में अपराधो पर नियंत्रण लगेगा हमारे राजस्थान में वर्ष दो हजार छ में नया पुलिस कानून बनाया गया है लेकिन अब तक न तो तबादला पालिसी बनी है ..न ही थानों में अपराध नियंत्रण के लियें समितियों का हुआ है ..पुलिस उत्पीडन के लियें पुलिस जवाबदार समितियां नहीं बनी अहि इतना ही नहीं पुलिस आयोग का गठन भी नहीं किया गया है शांति समिति और सी एल जी समितियों में वोह लोग है जो या तो पुलिस के दलाल है या सत्ता के दलाल है या फिर अपराधिक प्रवृत्ति के सियासी लोग ऐसे में केसे अपराध नियंत्रण हो जब तक बीट प्रणाली से लेकर शिकायत प्रणाली तक निगरानी विकसित नहीं हो लेकिन सरकारों को क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश जाए कचरा पात्र में उन्हें तो पुलिस को जनता के खिलाफ इस्तेमाल करना है अधिकारियों को मनचाही जगह पोस्टिंग करना है उन्हें मनचाही कार्यवाही की देना है बस उनके कार्यकर्ताओं को अपराध करने की छुट मिले और पुलिस सत्ता पार्टी की प्रचारक बनकर काम करे और नेताओं की सुरक्षा करे जो लोग सत्ता पक्ष के नेताओं के खिलाफ आवाज़ उठाये उनके खिलाफ पुलिस दमनकारी नीतिया चलाकर उन्हें डराए धमकाए इसीलियें तो बेचारी पुलिस और पुलिस अधिकारीयों को जनता की सुरक्षा और अपराध पूर्व नियंत्रण के लिए वक्त नहीं मिल पाता है और वोह चाह कर भी अपराध नहीं रोक पाते यहाँ तक के ख़ुफ़िया एजेंसियों को भी राजनीतिक जानकारी इकट्ठी करने के लियें लगाया जाता है किसको टिकिट देना चाहिए सरकार की पालिसी के बारे में मतदाता क्या सोचता है कास्ट अलग अलग पार्टी के बारे में क्या सोचती है किस योजना से वोटरों को लुभाया जा कसता है किस विपक्ष के नेता की क्या कमजोरी है बस यही सब ख़ुफ़िया विभाग के लोगों काम रह गया है और इस पर तमगा यह है के ख़ुफ़िया एजेंसी का प्रमुख रोज़ प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री को कानून व्यवस्था के बारे में फीड बेक देते है ..ऐसे में बेचारे पुलिस अधिकारी नोकरी बचाने के लियें कम कर रहे है या फिर रूपये कमाने में लग गये है और जमीर वाले पुलिस अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी भडास किताबे छाप कर तहलका मचाने में निकालते है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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