आपका-अख्तर खान

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11 अप्रैल 2013

कोई छुप,छुप के देखे तो, मोहब्बत नाम हो जाये,

कोई छुप,छुप के देखे तो,
मोहब्बत नाम हो जाये,

करे खुलेआम जो इजहार,
तो वो बदनाम हो जाये।

बसाने में,निभाने में लगेगी उम्र ये सारी,
छुपा लो दिल के कोने में,
तो अब आराम हो जाये।

बड़ा तरसा हूँ मै भी मुद्दतों से,
यार की खातिर,
बरस कर जो भिगो दे,
प्यार अब खुलेआम हो जाये।

तुम्हारे केशुओं ने नींद लुटी,
चैन लुटा है,
तेरी बारी है तू लुट जाये,
तो अंजाम हो जाये।

कभी जो देख लो तुम तो मेरी पहचान हो जाये,
तुम्हारी जुल्फ में ही रात से फिर शाम हो जाये।

बड़ी बदनाम है मेरी मोहब्बत तेरे वास्ते,
तू मेरा नाम ले ले तो मेरा फिर नाम हो जाये।

तरसती है नजर दीदार को बस देख ले तुमको,
कब्र में भी सब्र से फिर मुझे आराम हो जाये।

कहूँ तो क्या कहूँ हर लब्ज थोड़े फीके-फीके है,
मेरी आँखों से जो तू पढ़ ले दिल का काम हो जाये।

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