आपका-अख्तर खान

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11 अप्रैल 2013

अरे यार क्या केल्क्यूलेटर लेकर प्यार की गिनती कर रहे हो

"पहला प्यार ?...अरे यार क्या केल्क्यूलेटर लेकर प्यार की गिनती कर रहे हो ...?....जो लोग कह रहे हैं "पहला प्यार " उनके लिए प्यार त्यौहार नहीं ...प्यार उपहार नहीं ...प्यार श्रृंगार नहीं ...प्यार व्यवहार नहीं ...प्यार संस्कार नहीं ,,,प्यार व्यापार है ...प्यार बाज़ार है ...गिनती का गणित है , देह का फलित है ...जो कह रहे हैं --"पहला प्यार" वह एक से अधिक प्यार कर चुके हैं ...और आगे करेंगे भी ...फिर क्या पहला प्यार ...क्या नहला प्यार ...क्या दहला प्यार ? ...इनको कोई क्या बताये कि प्यार एक और केवल एक ही होता है ...यह तो सभ्य संस्कारित समाज की बात हो गयी ...बाकी चरित्रहीनो की बस्ती में "पहला प्यार " ओपनिंग बेट्समेन जैसा कोई जुमला है ...छिनरे -छिनारों की बस्ती में "पहला प्यार " --- "लगे रहो मुन्ना भाई " --जैसा कोई वाकया या वारदात है ...जो कहे "पहला प्यार " समझ जाना प्यार की पगडंडी पर उसकी रफ़्तार ." ----राजीव चतुर्वेदी

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