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27 अप्रैल 2013

भारत बना दुनिया का आठवां सबसे ताकतवर देश


नई दिल्ली. दुनिया के 10 सबसे अधिक शक्तिशाली देशों में भारत को 8वीं रैंक मिली है। अपने आप में पहले बार इस तरह की एक स्‍टडी हुई है, जिसमें नेशनल पॉवर का अध्‍ययन किया गया है। 27 देशों में भारत को आठवां रैंक मिला है। यह रैंक देश के ख्‍यात नीति निर्धारक और विद्वानों ने दिया है। नई दिल्‍ली स्थिति फाउंडेशन फॉर नेशनल सिक्‍युरिटी रिसर्च (एफएसएनआर) ने यह स्‍टडी की है। 
 
स्‍टडी के बारे में प्रोफेसर सतीश कुमार कहते हैं कि हमने शक्तिशाली देशों का चयन कई आधार पर किया। इसके लिए इन देशों को कुछ जरूरी मापदंड पूरा करना था। मसलन उन देशों को लिया गया, जिनकी आबादी 5 करोड़ से अधिक थी। जीडीपी का स्‍तर 500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक था। इसी तरह ऐसे देशों को इसमें शामिल किया गया जो अपने 5 अरब डॉलर अपने सामरिक क्षेत्र में खर्च करते हैं। भारत ऐसे देशों में से एक है।
स्‍टडी में कहा गया है कि यूनाइटेड स्‍टेट दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है। अपने करीबी प्रतिस्पर्धी चीन से अमेरिका काफी आगे है। स्‍टडी में कहा गया है, "एनर्जी, सुरक्षा, तकनीकी क्षमता और विदेशी मामलों में चीन अभी भी यूएस से काफी पीछे है। यहां तक की अर्थव्‍यवस्‍था और सामरिक के क्षेत्र में भी चीन काफी पीछे है। यूएस के प्रभुत्व को चुनौती देने की चीन की इच्‍छा भविष्‍य में खतरा पैदा कर सकती है। 
 
यूएस और चीन जैसे देशों के बहुत बाद में भारत का नंबर आता है। रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत की अर्थव्‍यवस्‍था की क्षमता आठवें नंबर पर है जबकि सामरिक क्षमता के मामले में भारत विश्‍व में सातवां स्‍थान रखता है। जबकि तकनीक के क्षेत्र में भारत 17वें नंबर पर है। एनर्जी सुरक्षा में भारत की स्थिति और भी खराब है और वह 20वें स्‍थान पर टिकता है।" 
 
सेना के साजो सामान और पावर प्रोजेक्‍शन, सायबर और स्‍पेस सिक्‍युरिटी में भारत की रैंकिंग बहुत ही खराब है। सैद्धांतिक मसलों में भी भारत निराश करता है। प्रौद्योगिक क्षमता की बात करें तो यहां भी भारत कमजोर है। सबसे अधिक मार्क्‍स भारत को उसकी जनसंख्‍या क्षमता पर मिला है। लेकिन यदि भारत अपने लोगों के मेनपावर इंडेक्‍स में निवेश नहीं करता है तो यही जनसंख्‍या उसके लिए खतरा बन सकती है। चीन को इसमें 100 और भारत को 87.5 अंक मिले हैं। उपकरण इंडेक्‍स में  भारत की स्थिति चीन से बहुत ही खराब है। 100 अंक पाने वाले चीन की तुलना में भारत को उपकरण इंडेक्‍स में मात्र 50 अंक की मिले हैं। शिक्षित मजदूरों के मामले में चीन भारत से काफी आगे है। भारत को लगातार चुनौती मिल सकता है। 
 
निवारण और पावर प्रोजेक्शन की यदि बात करें तो चीन को इसमें 75 अंक मिला है जबकि भारत को 60 से भी कम अंक में समझौता करना पड़ा। रणनीति और सैद्धांतिक अनुकूलन में भी चीन भारत से अधिक निवेश करता है।

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