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17 अप्रैल 2013

बेइंतहा दर्द का बसर होगा

Anita Maurya
आँसूं जब खून से तरबतर होगा,
बेइंतहा दर्द का बसर होगा ,

नजरें दूर तलक जाके लौट आयेंगी,
जिंदगी में जब धुंध का असर होगा ,

जब भी उठाओगे तलवार बेवफाई की,
सामने मेरा ही सर झुका होगा,

हर घूँट तेरे नाम का है मंजूर हमें,
अमृत होगा वो या के जहर होगा,

जहाँ दर्द के मेले में भी हंसती हो ख़ुशी,
ऐसा कोई तो इस जहाँ में शहर होगा,

हम लौट भी आये तो क्या होगा 'अनु',
अब वो सिन्दूर किसी और के सर का होगा .. !!अनु!!

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