राजस्थान के कोटा जिले के दादाबाड़ी थाना इलाके की पुलिस एक पुलिस जवान की चार साल की गुडिया के साथ दुसरे पुलिस कर्मी के बेटे द्वारा जबरदस्ती करने के मामले में इंसाफ नहीं कर पा रही है और केवल मोबाइल टावर किसी और स्थान पर होने के कारण अभियुक्त को खुला छोड़ रखा है ...दोस्तों दिल्ली की दामिनी हो चाहे दिल्ली की गुडिया हो उन्हें तो समाजसेवक और सियासी पार्टी से जुड़े लोगों ने मिडिया की मदद से इंसाफ दिलाने में कामयाबी हांसिल कर ली है लेकिन अत्याचार ज़बरदस्ती की मासूम शिकार कोटा की इस गुडिया को कहीं इन्साफ नहीं मिल रहा है मामला कोटा के दादा बड़ी थाने में दर्ज है पुलिस ताफ्तिशें बदल रही है ....आरोपी लडके का मोबाइल टावर और गुडिया में माता पिता के बयानों में वक्त के मामूली से विरोधाभास का सहारा लेकर पुलिस ने अत्याचार के इस मामले को कचरे की टोकरी में डाल दिया है ............अब मोबाइल अगर कोई दूसरी जगह भूल जाए और अपराध करते वक़्त अपने साथ नहीं ले जाए तो क्या ऐसे व्यक्ति को सिर्फ इसलियें के अपराधी के साथ मोबाईल नहीं था और उसका मोबाइल टावर घटना स्थल पर नहीं है आरोपी को छोड़ दिया जाएगा जबकि मासूम गुडिया चीख चीख कर आरोपी को पहचान रही है और इन्साफ की गुहार लगा रही है कोटा की गुडिया सहमी सहमी डरी डरी सी कोटा पुलिस की इस तरह के बेवकूफी भरी तफ्तीश अपर ज्यादा शोर भी इसलियें नहीं मचा पा रही है के अत्याचारी भी पुलिस और अत्याचारी की मददगार भी पुलिस है जो उसके पिता को धमका रहे है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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