आपका-अख्तर खान

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24 अप्रैल 2013

" कैसे गीत लिखूं ..फूलों के ;

" कैसे गीत लिखूं ..फूलों के ;
जब अधखिली कलियाँ मसली जाती !!
कैसे वर्णन करू....मधुबन का ;
जब नन्हीं परियां ...कुचली जाती !!
कन्या पुजती ..देवी समझ ...!
माता का रूप होती सहज ...!!
कोई ...' नर '...' पिशाच ' बन जाता क्यों ?
बच्ची पर ज़ुल्म है .ढआता क्यों ?
क्यों इन मासूम फरिश्तों पर ...
राक्षसो को दया नहीं आती ??
क्यों नन्ही कलियाँ ........!!
जब भी सुनती ...शब्द ..' बलात्कार '
मै डर से सहम सी जाती हूँ ;
अपनी छोटी सी बिटिया को ;
आँचल में छुपा ले जाती हूँ !!
हर पल दहशत की परछाई ;
पीछे पीछे ...मेरे आती ।
क्यों नन्ही कलियाँ ......।।।।।???? "
( बीना उनियाल )

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