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12 अप्रैल 2013

9 मौतों के जिम्मेदार भुल्लर को नहीं मिलेगी माफी, होगी फांसी



नई दिल्ली.  ‘सरकार पर कई राजनीतिक दलों, संस्थाओं और विदेशी व्यक्तियों का दबाव था। लगता है इसी वजह से राष्ट्रपति सचिवालय में फाइल पर इतने वर्षों तक फैसला नहीं लिया जा सका।’ -सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 66 वें पेज पर
 
फैसले से 16 अन्य दोषियों को फांसी देने का रास्ता साफ हुआ
 
26 मई 1965 को जालंधर में जन्मे और लुधियाना के गुरु नानक इंजीनियरिंग  कॉलेज से बीई का कोर्स करने वाले खालिस्तानी आतंकी दविंदरपाल सिंह की याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की गई थी।
 
भुल्लर पर 1993 में कार बम धमाकों का आरोप है। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हुई थी। अब भुल्लर के अलावा १६ और लोगों को भी फांसी दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है। इनकी याचिका राष्ट्रपति नामंजूर कर चुके हैं।
 
फैसले का असर
 
कानूनी- याचिका में देरी को आधार बना राजीव गांधी के 3 हत्यारों सहित 17 ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का आग्रह कर रखा है। अब इनकी फांसी का रास्ता साफ हो गया है। 
 
राजनीतिक- अकाली दल फांसी की माफी के पक्ष में है। जबकि भाजपा विरोध में है। पंजाब में दोनों की मिलीजुली सरकार है। एनडीए और पंजाब में दोनों के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।
 
कब क्या हुआ?
 
1993 में दिल्ली में भुल्लर पर ब्लास्ट का आरोप। 9 की मौत। धमाकों के बाद जर्मनी भाग गया। 
 
94 में भारत लाया गया। 2001 में फांसी की सजा। सुप्रीम कोर्ट ने सजा बरकरार रखी। पुनर्विचार याचिका और भूल-सुधार याचिका भी खारिज कर दी। 2003 में दया याचिका लगाई जो 2011 में खारिज हो गई।

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