लखनऊ. गोण्डा के माधवपुर में 1982 में हुए डीएसपी केपी सिंह
सहित कुल 13 लोगों के फर्जी इनकाउंटर मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को आज
सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुना दी। सीबीआई कोर्ट ने मामले में तीन
पुलिसकर्मियों को फांसी की सजा सुनाई, जबकि पांच को उम्र कैद की सजा
सुनाई। फैसला सुनने के बाद मृतक डीएसपी की बेटी और वर्तमान में बहराइच की
डीएम किंजल सिंह (आईएएस) अदालत में ही फूटफूट करने लगीं। उनके मुताबिक,
पूरा परिवार इस फैसले का इंतजार कर रहा था। उन्हें विश्वास था कि देर ही
सही न्याय जरूर मिलेगा।
फांसी पाने वालों में गोण्डा के कौड़िया थाने के तत्कालीन एसआई
आरबी सरोज, कर्नलगंज थाने के हेड कांस्टेबल राम नायक पाण्डेय और पुलिस
चौकी दुबहा बाजार के कांस्टेबल रामकरन सिंह यादव शामिल हैं। वहीं, साजिश
में शामिल होने ओर झूठ साक्ष्य तैयार करने के दोषी पाए गए पीएसी की
30वीं बटालियन के तत्कालीन प्लाटून कमांडर रमाकांत दीक्षित, तत्कालीन
एसपी गोण्डा के रीडर नसीम अहमद, कोतवाली देहात गोण्डा के एसआई परवेज
हुसैन, एसआई मंगला सिंह व लकड़मंडी थाने के तत्कालीन इंचार्ज राजेंद्र
प्रसाद सिंह को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है।
सीबीआई कोर्ट ने 29 मार्च को इन सभी आठ पुलिसकर्मियों को दोषी करार
दिया था और सजा सुनाने के लिए आज तारीख तय की थी। सजा के बाद आरोपी
पुलिसकर्मियों के परिजनों ने कहा कि अदालत के फैसले के खिलाफ वह अपील
करेंगे। मामले में सीबीआई ने कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें से 10
लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक को सबूतों के अभाव में अदालत बरी कर
चुकी है।
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