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24 अप्रैल 2013

10 में से हर चौथे रेप के दोषी हैं रिश्तेदार: बताएं कौन जिम्मेदार.. आप, हम या सरकार?


10 में से हर चौथे रेप के दोषी हैं रिश्तेदार: बताएं कौन जिम्मेदार.. आप, हम या सरकार?
नई दिल्‍ली। 105 दिन में 178 रेप और हर चौथे रेप का दोषी कोई रिश्तेदार, ये कहानी है देश की राजधानी दिल्ली की। लेकिन दिल्ली से महज 600 किलोमीटर दूर जम्मू में हुई दुष्कर्म की घटना एक गंभीर सवाल खड़ा करती है जो अब तक पर्दे के पीछे है। सवाल को समझने से पहले उन घटनाओं पर नजर डालना जरूरी है जो हमारे सामजिक संरचना पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती हैं ...
 
पहली घटना, मामला मंगलवार का है जम्मू पुलिस के पास दो बहनें पहुंची. उनमें से एक ने अपने खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई. बलात्कार की इस घटना में जो असामान्य बात है, वो ये कि लड़की ने अपने जेठ, चाचा और पति पर पिछले छह साल से लगातार दुष्कर्म किये जाने का आरोप लगाया है. छह साल तक यह मामला खुल नहीं सक क्योंकि इन तीनों आरोपियों ने लड़की की शादी मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति से करा दी थी और उसे घर से निकलने नहीं दिया जाता था. अपनी बहन की मदद से वह किसी तरह वहां से भागने में सफल हो सकी और सीधे पुलिस के पास पहुंची (मामले की पूरी जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -
 
दूसरी घटना दिल्ली से जुडी है जहां पिछले साल 16 दिसंबर की रात वसंत विहार इलाके में चलती बस में एक लड़की (दामिनी) के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. इसके बाद पुलिस और सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूटा. मामला इतना गंभीर हो गया कि सरकार को रेप के मौजूदा कानून तक में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा.  
 
तीसरी घटना भी देश की राजधानी की ही है जहां 18 अप्रैल को एक बार फिर रेप की दर्दनाक घटना सामने आई. चार साल की एक मासूम के साथ बेहद अमानवीय तरीके से दुष्कर्म किया गया. इस घटना के बाद दिल्ली एक बार फिर उबल पड़ी. इस बार फिर से सबकी शिकायत सरकार और पुलिस के खिलाफ थी. 
 
इन तीन घटनाओं में से दिल्ली में होने वाली दोनों वारदात के बाद जमकर हंगामा हुआ जबकि इससे कहीं ज्यादा गंभीर है पहली घटना जो एक बड़ा सवाल खड़ा करती है. सवाल जानने से पहले एक नजर इन आंकड़ों पर डालें ...
 
दिल्ली में महज 95 दिन में 178 रेप हुए और हर चौथे रेप का दोषी कोई रिश्तेदार निकला, ये कहानी है देश की राजधानी की. इन आंकड़ों को पेश करने का मकसद उस सच्चाई को सामने लाना है जिसमें दुष्कर्म के लिए अपने ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. इस सच्चाई को और पुख्ता करने का काम दिल्ली में 1 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच हुई दुष्कर्म की घटनाएं खुद करती हैं.(बीवी के साथ भी रेप कर चुका है मनोज, भागा ससुराल)
 
इस दौरान हर दो दिन में तकरीबन तीन महिलाएं रेप का शिकार हुईं. पूरे आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी में पिछले साढ़े तीन महीने के दौरान हुए 178 रेप के वारदातों में रिश्तेदार और परिचित ही शामिल रहे हैं. देखें आंकड़ें .
 
सहकर्मी-15,  
 
परिवार/संबंधी-12 
 
पिता-10, 
 
पूर्व पति या पति- 9 
 
पत्‍नी का भाई-9 
 
मकान मालिक-8 
 
शिक्षक/प्रिंसिपल-3 
 
किराएदार-3 
 
सौतेला पिता-2 
 
ससुर-2 
 
डाक्‍टर-2
 
अब तक की खबर पढने के बाद आप इस सच्चाई से काफी हद तक तो रूबरू हो गए होंगे कि दुष्कर्म की ऐसी घटनाओं का असल जिम्मेदार कौन है...आप, हम या सरकार? 
 
इसके बाद जिन सवालों का जवाब तलाशने की हमें जरूरत है, वो है कि घर, कार्यस्थल या पास-पड़ोस में किसी सम्बन्धी या परिचित द्वारा किए जाने वाले हर रेप के लिए सिर्फ सरकार और पुलिस ही दोषी है? क्या खुद की मानवता को जगाए बिना केबल व्यवस्था के खिलाफ कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन मात्र से इस बुराई पर रोक संभव है? क्या ऐसे अपराधों को रोकने के लिए परिवार, संबंधी या पड़ोसी के तौर पर हमारी कोई जिम्मेदार नहीं है

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