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24 अप्रैल 2013

यही है वो स्थान जहां मिले थे दो महाबली और हनुमानजी की पूंछ तक न हिला सके भीम!



कहते हैं कि आज के घोर कलयुग में इवल एक देवता ऐसे हैं जो साक्षात रूप में उपस्थित हैं और वे देव हैं रामभक्त हनुमान।संकटमोचन के रूप में पूजे जाने वाले इन देव के वैसे तो पूरे भारतवर्ष में कई धाम होंगे लेकिन राजस्थान के सरिस्का अभ्यारण के सुरम्य वातावरण में पवनपुत्र एक ऐसे रूप में विराजमान हैं जो शायद ही पूरी दुनिया में कहीं और होगा।
 
यहां हनुमान जी की जो प्रतिमा विराजमान है वह देश ही नहीं विदेशों में भी अपने अनोखेपन के कारण प्रसिद्ध हुई है अर्थात विदेशियों का जमावड़ा भी हनुमानजी के इस मंदिर बखूबी देखा जा सकता है।

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