आपका-अख्तर खान

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02 मार्च 2013

तुमने मुझे अपने जीवन में

तुमने
मुझे अपने जीवन में
सिर्फ और सिर्फ
एक गुलाब समझा
पहले तो
काँटों से अपने हाथ बचाकर
झूमती हुई डाली से
मुझे बेरहमी से तोडा
फिर
खुद की खूबसूरती बढ़ाने के लियें
अपने जुड़े में लगाया
मेरी खुशबु से
खुद को महकाया
मेरी काया से खुदको खुबसूरत बनाया
रात को इसी जुड़े के साथ
तुमने मेरी सुंगंध का वास्ता देकर
अपना आशियाना सजाया
और फिर
मेरे मुरझाने के बाद
मेरी पंखुडियां टूट जाने के बाद
तुमने देखलो मुझे
कूड़े में मिला दिया है
मुझे कूड़े में मिला दिया है
तुमने मुझे एक इन्सान से
गुलाब बना दिया है .....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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