दोस्तों कहते है बचपन बेगाना होता है ..बचपन का
स्वभाव दया और करुना से भरा होता है ..उसमे न बदला होता है ...ना किसी को
नुकसान पहुँचने का जज्बा ..यह बात आज सच साबित हो गयी ..हमारे घर में एक
छछूंदर ने रात में सभी को परेशांन कर रखा है ..पहले इस छछूंदर ने हमारी
शरीके हयात को काटा .फिर हमारी अम्मी के पैर पर काटा ..मेने इस छछूंदर को
कई बार मरने का प्रयास किया लेकिन मेरी छोटी बिटिया सदफ अख्तर ने मुझे रोक
दिया कल इसी छछूंदर ने मेरी बिटिया के पैर पर काट लिया थोड़ी बहुत तकलीफ हुई
ठीक हुई मेने मेरी बिटिया को राज़ी किया
के इस छछूंदर को अगर तुम मरने नहीं देती हो तो कमसे कम पिंजरे में बंद कर
दूसरी जगह छोड़ने की सहमती तो दे दो .मेरी बिटिया ने कहा ठीक है पापा इसके
लियें पिंजरा ले आईये मेने पचास रूपये का पिंजरा खरीदा रात को लगाया और
छछूंदर जी इस पिंजरे में केद हो गयी ..सुबह उठते ही मेने बिटिया सदफ से कहा
के बिटिया आपकी मुलजिम पिंजरे में केद है इसके साथ क्या सुलूक किया जाए
मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए ..बस बिटिया सदफ उठी पिंजरे में केद छछूंदर
को देखा और उसे फटकार लगाई ..कहा के तूने सभी को परेशान कर दिया अब बता
तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए थोड़ी तांका झांकी की डांटा डपटा और कहा के
पापा बस इसे अब छोड़ दो यह अब शेतानी नहीं करेगी मेने इसे समझा दिया है
...में पहुंचता इसके पहले ही बिटिया जी ने इस छछूंदर को पिंजरे में से
हिदायत देते हुए के अब शेतानी मत करना पिंजरे से केद कर दिया में सोचने
लगा के बचपन कितना संवेदन शील कितना भोला होता है .......अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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