दोस्तों एक कडवा सच ..में मेरे अपनों के लियें होली की पिचकारियाँ देख रहा
था ..उमे से कुछ अच्छी पिचकारियाँ खरीद रहा था के अचानक मेरे एक मुस्लिम
मित्र ने मुझे आकर टोका ..उनका सवाल था वकील साहब आपतो मुस्लिम है ..आपका
त्यौहार तो होली नहीं है फिर होली की इन पिचकारियों को आप किसके लियें खरीद
रहे है ..मेने मेरे इस मित्र की तरफ देखा और सीधा जवाब दिया भाई हमारे
पड़ोसी हमारे बच्चों को ईद पर ईदी के नाम पर प्यार देते है उन्हें कुछ ना
कुछ गिफ्ट देकर उनकी ईद में शामिल होते है तो क्या हम उन्हें इस होली को
रंगीन बनाने के लियें यह पिचकारियाँ नहीं दे सकते ..जवाब सुनकर मेरे मित्र
मेरे भाई लाजवाब थे ..और फिर वोह भी दो पिचकारियाँ अपने किसी पड़ोसी के
बच्चों के लियें खरीद कर ले गए ......................अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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