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25 मार्च 2013

मेरे गाँव का जो रस्ता है

मेरे गाँव का जो रस्ता है
जिसकी छाती पर, आज भी
बचपन से अब तक के
मेरे पैरों की नाप है,
मेरा घर जानता है
तुम आँख बन्द करके भी आओ
तुम्हें मेरे घर तक पहुँचा ही देगा
ये तो पहले भी बता चुका हूँ
मैं और मेरे गाँव का चाँद
हमजोली हैं
माँ ने दोनों को चांदी की कटोरी में
साथ-साथ दूध-भात खिलाया है
जब सरसों के फूल खिलें
जब आमों में बौर लगे
मटर-तीसी फुलाने लगें
झुरमुट में छिपी कोयल बुलाने लगे
मेरे गाँव मत आना
इतनी सुन्दरता तुम्हें बाउर कर देगी
आना जब बारिश हो
आह मेरे गांव की बारिश
पूरे मन से बरसती है
बचपन में खूब भीगा हूँ इसमें
और मारा है बाबूजी ने
बाबूजी की मार याद नहीं
पर बारिश की फुहार आज भी याद है
मेरे गाँव का रस्ता
मेरे गाँव का पीपल
मेरे गाँव की बारिश
मेरे गाँव की कोयल
सबसे तुम्हारी बातें करता हूँ
इस फागुन ज़रूर से ज़रूर आना
मिलवाऊँगा सबसे।
होली के इस पावन उत्सव पर मित्रो मेरी तरफ से आपको और आपके घरवालो को बहुत बहुत शुभकामनाये ......................

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