हिन्दू धर्मशास्त्र उजागर करते हैं कि
आस्था, विश्वास, प्रेम और भावना ही ऐसी वजह है जो ईश्वर को भी भक्त के पास
आने को मजबूर करती है। इसलिए भक्ति में अविश्वास का कोई स्थान नहीं माना
जाता। भगवान शिव भी ऐसे ही देवता माने जाते हैं, जो भक्तो की थोड़ी ही
उपासना से प्रसन्न हो जाते हैं।
शिव की प्रसन्नता के ही इन उपायों में महामृत्युञ्जय मंत्र को बहुत ही
अचूक माना जाता है। शिवपुराण में तो शिव भक्ति के कालों जैसे प्रदोष,
सोमवार, चतुर्दशी, महाशिवरात्रि या हर रोज भी महादेव के इस मंत्र का
अलग-अलग रूप और संख्या में जप तन, मन और धन का हर सुख देने वाला बताया गया
है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि भक्त बिना किसी स्वार्थ या कामना के शिव का
ध्यान करे।
शिवपुराण के मुताबिक पूरी पवित्रता व निष्काम यानी बिना स्वार्थ के
नियत संख्या में महामृत्युञ्जय मंत्र जप से तो शिव सपनों से लेकर साक्षात
प्रकट होकर भी दर्शन तक दे देते हैं।
अगली तस्वीर पर क्लिक कर जानिए, खासतौर पर महाशिवरात्रि (10 मार्च) को
कितनी बार शिव के इस महामंत्र को बोलने या जप करने क्या-क्या चमत्कारी
होते हैं-
- महामृत्युञ्जय मंत्र के एक लाख जप करने पर शरीर पवित्र हो जाता है।
- महामृत्युञ्जय मंत्र के दो लाख जप पूरे होने पर पूर्वजन्म की बातें याद आ जाती हैं।
- महामृत्युञ्जय मंत्र के तीन लाख जप पूरे होने पर सभी मनचाही सुख-सुविधा और वस्तुएं मिल जाती है।
- महामृत्युञ्जय मंत्र चार लाख जप पूरे होने पर भगवान शिव सपनों में दर्शन देते हैं।
- पांच लाख महामृत्युंजय मंत्र जप पूरे होते ही भगवान शिव फौरन ही भक्त के सामने प्रकट हो जाते हैं।
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