आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

24 मार्च 2013

"शब्दों का सन्नाटा तोड़ो --कुछ तो बोलो

Rajiv Chaturvedi
"शब्दों का सन्नाटा तोड़ो --कुछ तो बोलो
मैं भी चुप हूँ
तुम भी चुप हो
इत्र फुलेलों और गुलाल से गलियाँ महक रही हैं
और पेड़ की हर डाली पर चिड़ियाँ चहक रही हैं
शब्दों का सन्नाटा तोड़ो --कुछ तो बोलो
तुम्हारी खामोशी ख़तरा लगती है
बोलो मेरी जान !!---तुम्हारे शब्दों में सामर्थ्य बहुत है
खून सर्द जब होता है तो शब्दों से सुलगाता हूँ मैं
आशंकाओं से आहात हो शब्दों को दोहराता हूँ मैं
शब्दों में संगीत पिरोओ कुछ तो बोलो
मैं भी चुप हूँ
तुम भी चुप हो
कुछ तो बोलो
बोलो मेरी जान !!---तुम्हारे शब्दों में सामर्थ्य बहुत है." ----राजीव चतुर्वेदी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...