गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले की
सुनवाई से पहले कहा कि सजा पर चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार नहीं की
जाएगी और सबूतों के आधार पर चुनौती देने वाली याचिकाओं को ही सुना गया।
टाडा कोर्ट ने प्रक्रिया का पालन किया है। कोर्ट ने फैसले की शुरुआत फांसी
पाए दोषियों से की। याकूब मेमन को फरार आरोपियों के बाद सबसे बड़ा दोषी
बताते हुए उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने याकूब बम धमाकों का
षडयंत्र रचने हथियार और धन मुहैया कराने का दोषी पाया।
इस मामले में कुल 12 लोगों को फांसी की सजा मिली थी। एक दोषी की जेल
में ही मौत हो गई थी और अदालत ने बाकी दस दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद
में बदल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी सजा को तबदील करते हुए माना कि इन
लोगों ने मुंबई में जगह-जगह बम प्लांट किए थे। लेकिन कोर्ट ने यह भी माना
कि हमले के मास्टरमाइंड ने इन लोगों की मजबूरी और गरीबी का फायदा उठाकर यह
सब काम करवाया था। अदालत ने इन्हें गरीब और अशिक्षित बताते हुए मोहरा बनाए
जाने की बात कही।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संजय दत्त को जेल जाना होगा।
उम्रकैद पाए 20 में से 17 लोगों की सजा बरकरार रखी गई है। एचआईवी पीड़ित
एक महिला को बरी किया गया है और एक की सजा 10 साल में बदली है, उम्रकैद पाए
एक कैदी की मौत हो चुकी है। इस तरह कुल 27 लोगों को उम्रकैद की सजा मिली
है। जस्टिस पी. सदाशिवम और जस्टिस बी. एस. चौहान की बेंच ने फैसला सुनाने
से पहले कहा था कि टाडा कोर्ट ने कानून सम्मत प्रक्रिया का पूरी तरह से
पालन किया है, इसलिए प्रक्रिया के आधार पर सजा को चुनौती दी गईं याचिकाएं
स्वीकार नहीं होंगी। बेंच ने उन्हीं याचिकाओं पर फैसला दिया जिनमें सबूत के
आधार पर चुनौती दी गई थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)