भाई गुड गवर्नेंस अगर मुस्लिम अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रमों में भी होती
तो वक्फ सम्पत्तियों का रख रखाव सही हो जाता ...वक्फ के कब्जेदारों को हटा
दिया जाता ..........मस्जिदें नहीं बिकती ...वक्फ बोर्ड कार्यालय में तुरंत
काम होते ....वक्फ सम्पत्तियों के सर्वे की अधिसूचना जारी हो जाती
..जिलेवार वक्फ सम्पत्तियों का रजिस्टर और विवादित सम्पत्तियों का रजिस्टर
जिला कमेटियों का तय्यार हो जाता ...मदरसा बोर्ड में वर्ष 2012 में
स्वीक्रत बजट के दो हजार पेराटीचर्स नियुक्त हो जाते ....इनके वेतन वक्त पर
मिलते सभी मदरसों में पढाई होती .....पेराटीचर्स नियुक्ति में खुला
भ्रष्टाचार नहीं होता ...मदरसों का हाल बहतरीन होता ....अल्पसंख्यक कल्याण
अधिकारी के कायाल्यों में जिलेवार दुर्दशा नहीं होती स्वीक्रत बजट के तहत
सम्भाग स्तर पर उप निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण की नियुक्ति होती लेकिन भाई
गुड गवर्नेंस हमारे नियुक्त नेताओं में नहीं है इसलियें तो यह कोम बेड
गवर्नेंस का अज़ाब झेल रही है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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