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18 मार्च 2013

जानिए..भगवान शिव के प्रतीक और रहस्यमयी वृक्ष ‘रुद्राक्ष’ के बारे में



अहमदाबाद। भगवान शिव की आराधना का प्रतीक है रुद्राक्ष। शिवजी का प्रतीक होने के कारण इसे अनेकों स्वरूप में धारण किया जाता है। लेकिन क्या आप रुद्राक्ष के वृक्ष या रुद्राक्ष की उत्पत्ति के बारे में जानते हैं? आमतौर पर रुद्राक्ष के वृक्ष हिमालय की तलहटी में मौजूद हैं। इस दुर्लभ वृक्ष की संख्या गुजरात के अहमदाबाद शहर में मात्र एक है।

रुद्राक्ष शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ फलदायिनी वृक्ष है, जो समस्त सुखों को देने वाला तथा समस्त दुखों से मुक्ति प्रदान करने वाला है। सभी मुखों के रुद्राक्ष का अलग-अलग प्रभाव होता है।

धार्मिक ग्रंथानुसार 21 मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में 14 मुखी के पश्चात सभी रुद्राक्ष
अप्राप्य हैं।
 रुद्राक्ष के वृक्ष आमतौर पर शीत प्रदेशों में ही उत्पन्न होते हैं। नेपाल और भारत के हिमाचल प्रदेश में रुद्राक्ष के ऊंचे ताड़ जैसे वृक्ष होते हैं। बड़े शहरों में प्रदूषण और गर्म वातावरण के चलते यह वृक्ष पनप नहीं सकते। इस वृक्ष की एक खासियत यह भी होती है कि इसकी मूल जड़ें धरती से बाहर निकली हुई दिखाई देती हैं। इस वृक्ष में जो फल होते हैं, उसके बीज को रुद्राक्ष कहा जाता है।

रुद्राक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सौ सालों तक खराब नहीं होता।

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