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18 मार्च 2013

इलाही यह केसी विडम्बना है अंग्रेजियत की गुलामी के इस दोर में दिखावटी धार्मिक मुखोटों के इस माहोल में

इलाही यह केसी विडम्बना है अंग्रेजियत की गुलामी के इस दोर में दिखावटी धार्मिक मुखोटों के इस माहोल में आज हमे अपने चरम के बारे में लोगों को बताना पढ़ रहा है जो लोग जानते है के हिन्दू धर्म नहीं संस्क्रती है धर्म केवल और केवल सनातन है वोह भी हिन्दू संस्क्रती को धर्म मान कर प्रचार कर रहे है ...जो लोग जानते है मुसलमान इस्लाम को मानने वाले है धर्म नहीं है धर्म तो इस्लाम है लेकिन मुसलमान को धर्म मानकर इसका प्रचार कर रहे है .....इससे भी अफ़सोस की बात यह है के हम जब अंग्रेजी के डोर में है हमारे देश में कोंग्रेस की भी सरकार रही भाजपा की भी सरकार रही कई राज्यों में आज भी भाजपा और गुजरात में तो हिन्दू संस्क्रती के कथित रक्षक भाई नरेंद्र मोदी की सरकार है लेकिन अफ़सोस सभी जगह अंग्रेजी साल जनवरी से ही सरे कारोबार सारे केलेंडर शुरू होते है गुजरात का केलेंडर आज भी हिन्दू तिथि से शुरू नहीं किया गया है हाँ हमे बार बार समझाना पढ़ता है हमारा साल अप्रैल में शुरू हो रहा है हमे कहना पढ़ता है हिन्दू वर्ष अब शुरू हुआ है अरे भाई हमने कभी देश के केलेंडर कार्यक्रम इस साल से करने की आवाज़ नहीं उठाई ..केरल में कई साल मुस्लिम लीग सरकार में रही मोहर्रम के महीने से साल शुरू होता है वहन किसी ने भी मोहर्रम के महीने से ही नये साल के केलेंडर की मांग नहीं उठाई ..तो जनाब जब नरेंद्र जी मोदी गुजरात में अप्रैल से अपने केलेंडर का कार्य्रम शुरू नहीं कर सकते तो फिर देश बताओं कहाँ इस केलेंडर की शुरुआत होगी ......भाई हम हिन्दू है यह बताने के लियें अगर हम ढिंढोरा पीटें ...हम मुसलमान है यह बताने के लियें हम अगर चीखे चिल्लाएं तो अजीब सा लगता है ऐसा लगता है जेसे किसी की घडी गम जाए तो घडी तलाशते वक्त कुछ लोग चीखें चिल्लाएं के में चोर नहीं में चोर नहीं यह मानसिक रोग है हम हिन्दू भी है हम मुसलमान भी है हम इंसान भी है ..हमारे आचरण से हमारा धर्म हमारी मानवता हम छलकाएं हमारी संस्क्रती पर हम इतरायें क्योंके इस संस्क्रती को तलाशने चाहे अकबर हो ..चाहे गजनवी हो ..चाहे अशोक हो ..चाहे सिकन्दर हो ..चाहे अँगरेज़ हो और अब चाहे बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हों सभी आते रहे है और हम गोरवान्वित है के हम भारतीय है जो अगर एक दिन भी विदेशियों का हुक्का पानी बंद कर दे तो अमेरिका टूट जाए हमे गर्व है के हम परमाणु शक्ति है अगर एक बटन दबा दें तो विश्व में तबाही आ जाए ..हमे गर्व है के यहाँ राम की संस्क्रती है यहाँ कृष्ण की गीता का ज्ञान है ...हमे गर्व है यहाँ ख्वाजा साहब के यहाँ अजमेर में सर टेकने देश के दुश्मन गदार पाकिस्तानी हुकूमत के लोग भी आते है ..हमे गर्व है के हम एक दुसरे के दिलों की धड़कन है .....हमे गर्व है के हम विश्व को आई आई टी आई .....विश्व को डॉक्टर ...वैज्ञानिक और लीडर देते है ..............हमे गर्व है के हम भारतीय है यहाँ मन्दिर की घंटी की मिठास है तो इबादत के लियें मस्जिदों में अज़ान की आवाज़ है ..यहाँ गुरुवाणी है यहाँ प्यार ही प्यार है .................फिर हमे क्यूँ गर्व ना हो अपने भारतीय होने पर जरा आप ही बताइए जनाब ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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