आपका-अख्तर खान

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18 मार्च 2013

..जिंदगी कहीं दूर

‎..जिंदगी कहीं दूर खो सी गयी थी
कहीं एक लहर जैसे थम सी गयी थी
कुछ स्वप्न पलकों में छिप से गए थे
दिन अजनबी से लगने लगने लगे थे
यूँ मिल गए कुछ ख़ुशी के खजाने
खुली वादियों में गूंजे कुछ तराने
अपनी ही धुन में अब उड़ने लगे हैं
ये दिन बड़े अपने से लगने लगे हैं.....सुप्रभात......!!

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