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19 मार्च 2013

चंद सिक्कों की खातिर बिकती हैं 'पारो', यौन गुलामों की तरह इस्तेमाल होती हैं दुल्हन!

हरियाणा। हरियाणा के गांवों में अब शादी दो आत्माओं का मिलन नहीं रह गई है। इसके विपरीत, शादी एक व्यापार बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी भारत के दूर-दराज क्षेत्रों से दुल्हनें 30 से 40 हजार रुपयों में खरीदी जाती हैं। सच तो यह है कि यह स्थिति आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि लिंग अनुपात एक हजार पुरुषों की तुलना में महिलाएं 877 हैं।
 
इन हालात में दो प्रश्न सामने आते हैं। पहला यह कि आखिर लिंग अनुपात में इतना अंतर क्यों है? दूसरा दुल्हन खरीदने के रिवाज के साथ मानवीय अधिकारों का मामला भी जुड़ा है। यहां के लोगों की मानसिकता अभी भी बेटे पर ही अटकी हुई है। वे सोचते हैं कि बेटा ईश्वर का आशीर्वाद है और बेटी शाप।
 
यह सोच समाज को शर्मिंदा करती है। इसी मानसिकता के कारण शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं और दूसरे राज्यों से दुल्हन खरीदने की नौबत आती है।

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