दोस्तों आज एक अप्रेल यानि मुर्ख दिवस है ..मुर्ख दिवस क्या होता है
..क्यूँ मनाया जाता है ..मुर्ख दिवस होता भी है या नहीं मुझे पता नहीं
...लेकिन यह सच है के में जनता की निगाह में पहले मुर्ख था और अब
महामूर्ख हो गया हूँ ..यकीन मानिए ... जनता द्वारा मुझे महामूर्ख समझने पर
में खुद को गोरवान्वित महसूस करता हूँ ...जी हाँ दोस्तों बचपन से मेरा
स्वभाव क्रोधी और बदले की भावना वाला रहा है .... मुझे याद है मेरी खुद की
सगी मोसी ने मुझे गुस्सा दिलाया मेने गुस्से में उनके सर पर गुलेल से वार किया
और उनका सर फट गया ...सर पर कई टाँके आये ..इसी बचपने में एक पड़ोसी ने
मेरे एक रिश्तेदार से अभद्रता की वोह उम्र में बहुत बड़े और पहुंच वाले भाई
जी थे ...लेकिन मेरा गुस्सा ऐसा था के मुझे पता पढने पर मेने उनके घर में
जाकर सूतली बम के कई धमाके किये ..यह क्रोध यह गुस्सा और बदले की भावना हर
इन्सान में होती है ..में पत्रकारिता से जुडा और मेरी लेखनी ..पत्रकारिता
के रॉब और अधिकरियों ..नेताओं से बहतर सम्बन्ध होने के कारन में खुद को
तीसमारखां समझने लगा ..और कई बार गुस्से में बदले की भावना से में कुछ
लोगों का अपमान किया तो नुकसान भी किया ...कुछ एक तो ऐसे ओछे किस्से है
जिनकी यादें आज मुझे शर्मिंदा करती है मेने कुछ लोगों को बदले की भावना से
पुलिस में बंद करवाया ...यहाँ तक के कलेक्ट्री में उनकी जमानत भी नहीं होने
दी ..घमंड में चूर होकर जब तक कोई भी दुश्मन मेरे आगे नतमस्तक न हुआ मेने
उसका पीछा नहीं छोड़ा . कई कर्मचारियों अधिकारियों का बेवजह अदला बदली
करवाई ...लेकिन पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ने के कारण मेरा पढने का शोक था ....कुरान शरीफ मेने अरबी में पढ़ा था ...बचपन में उसका
पूरा अनुवाद ढंग से नहीं पढ़ सका था ..सो मेने कुरान शरीफ का अनुवाद पढ़ा
... उसे पढ़ा ही नहीं समझा भी ...हुजुर सल्लाल्लाहे वसल्लम की जीवनी उनकी
शिक्षा पढ़ी ..जीने का सलीका समझा ..महाभारत पढ़ी ..वेद पढ़े ..गीता पढ़ी
..बाइबिल .रामायण पढ़ी ..और में एक बात समझा के ताकत इश्वर सभी को देता है
....लेकिन जो इसका सदुपयोग करता है वोह इन्सान होता है और जो इसका दुरूपयोग
करता है वोह शेतान होता है ..बस मेने अपनी सोच बदली ..बदले की भावना बदली
..लोगों से नफरत का भाव कम करने का प्रयास किया ..खुद को कर्तव्य के प्रति
वफादार ..वक्त का पाबन्द बनाया ....गुस्सा कम किया और जो लोग पीछे से मेरी
बुराई करते पकड़े गए वक्त पढने पर उनके लियें भी जो मुझ से बन पढ़ा वोह काम
किया ...मेने जो लोग सियासत में नोकरशाही में पावरफुल थे बढ़े थे उनसे मदद
लेना बंद कर दिया ....खुद को उनके आगे पीछे घुमने की प्रव्रत्ति से रोका
...और जो लोग मेरे कहने से बढ़े से बड़े काम करते रहे थे उनके पास कभी सर न
झुकाया ..नतीजा मेरी पहुंच कम होती गयी ..जाहिर है पहुंच कम होगी तो पूंछ
भी कम होगी ..लोग जो उनके नुकसान के डर से मेरी झूंठी इज्ज़त करते थे ...
मेरे खिलाफ बोलने का साहस करने लगे ..मेरे पीठ पीछे बुराइयां की और जब वही
लोग उनका कोई काम लेकर मेरे सामने आये तब मेरा व्यवहार मधुर देखा या उनकी
पीड़ा में मेरे मदद का स्वभाव देखा तो मेरे बारे में मेरे खुद के दोस्त मेरे
खुद के रिश्तेदारों और इर्द गिर्द वालों की सोच बदल गयी ..यकीन मानिए मेरी
वक्त की पाबंदी और दुश्मनी का स्वभाव रखने वाले ..मुझ से धोखा करने वाले ..पीठ पीछा मेरे नुकसान की बात करने वाले लोगों ने जब मुझे
मेरी हेसियत के हिसाब से उनके फायदे के लियें काम आते देखा गया तो मुझे
लोगों ने मुर्ख की उपाधि देना शुरू कर दी ..मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे इसे
बेवकूफी बता कर इस स्वभाव को बदलने की हिदायत दी और दुश्मन को दुश्मन समझने
..धोखेबाज़ फरेबियों को बदला लेकर सबक सिखाने की सलाह दी ..यकीन मानिये में
भी एक आम इन्सान हूँ मेरे साथ कई लोगों ने फरेब किये .. विश्वास के नाम पर
विश्वास घात किया ...मेने खुद को सम्भाला थोड़ी सावधानी बरती ..लेकिन जो
हाजी थे ..जो नमाज़ी थे ..जो खुद को इस्लाम के जानकार और मानने वाले कहकर
विशवास दिलाते थे .. जो कसमे खाते थे ..जो मोलाना थे ..जो मोलवी थे वोह
लोग जब विश्वास दिलाकर कोई बात कहते तो उन्हें इस्लाम का जानकार ..नमाज़ी
समझ कर मेरे पास उनकी बातो पर विश्वास करने के आलावा कोई दुसरा विकल्प न था
.. इसलियें मेने उनकी बातो पर उनके वायदों पर विश्वास किया और यकीन मानिए
ऐसे कई लोगों ने मेरा विश्वास तोडा मेरे साथ धोखा किया विश्वास घात किया कई
बार बदले का ख्याल आया ..कई बार ऐसे लोगों को तबाह और बर्बाद करने के
लियें मन में गुस्से का ज्वार उठा और खुद ने मुझे वोह ताकत भी बख्शी ..वोह
रसुकात भी दिए के में ऐसे धोखेबाजों की हर बात का मुंह तोड़ जवाब देने में
सक्षम था ..मुझे गुस्सा भी आता है .....कई बार रात को में गुस्से में ऐसे
लोगों को सबक सिखाने का संकल्प भी लेता हूँ लेकिन सुबह जब कुराने पाक की
हिदायत तर्जुमे से पढ़ता हूँ ..अल्लाह का फरमान और हुजुर सल्लाहे वसल्लम की
हिदायत ध्यान में लाता हूँ तो मेरा गुस्सा काफूर हो जाता है और मेरी बदले
की भावना फिर से मदद करने की तरफ बदल जाती है ..दोस्तों यकीन मानिए मुझे जब
लोग मेरे साथ धोखा फरेब करने वालों को इस रूप में देखते है के में उनकी
मदद कर रहा हूँ उनके लियें संकट मोचक बना हूँ तो लोग हाँ अधिकतम लोग जिसमे
मेरे मित्र ..मेरे नजदीकी ..मेरे रिश्तेदार मेरे प्रशंसक मुझे मुर्ख और
महामुर्ख समझने लगते है सब्र और वोह भी इन्ना लिल्लाहे माँ अस्साबेरींन की
हद तक सब्र ...वक्त पर खुद का और दुसरे के हिस्से के काम करने की आदत ने भी
मुझे दूसरों की निगाह में महामूर्ख साबित किया है लेकिन दोस्तों मुझे गर्व
है के में मुर्ख ही नहीं महामूर्ख हूँ और इस अप्रेल जो एक अप्रेल के रूप
में महामूर्ख बनने की परम्परा है इस अवसर पर में गर्व से कहता हूँ के लोग
जो सोचते है के मेने फलां को मुर्ख बना दिया वोह गलत सोचते है क्योंकि
मुर्ख वही बनता है जो आपसे प्यार करता है जो मर्यादाओं में रहता है जो विधि
नियमों से चलता है जो मानवता का परचम लेकर चलता है ..मुर्ख वही बनता है
जो आपको समझता है जो आपकी ख़ुशी के लियें सब कुछ जानकर भी जान बूझ कर मूर्ख
बनता है ....विश्वासघात उसी के साथ होता है जो विश्वास करता है वरना किसी
दुसरे में क्या मजाल जो कोई घात कर सके ..ऐसे लोग जो किसी को धोखा देकर
किसी की पीठ पीछे उसकी आलोचना कर खुद को अक़लमंद समझते है तो वोह मुर्ख होते
है या अक़लमंद इसका फेसला तो आप बहतर कर सकते है और मुझे इसीलियें गर्व है
के में मुर्ख ही नहीं महामूर्ख हूँ क्योंकि जब में रात को बिस्तर पर जाता
हूँ तो मुझे सुकून की नीन्द आती है ..जब में कोई ख्वाहिश करता हूँ तो मेरा
रब उस ख्वाहिश को जल्दी से पूरी कर देता है ..जब कोई दुश्मनी पाल कर मुझे
नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है तो कुछ वक्त बाद वही शख्स उसके किसी
काम को लेकर मेरे कदमों होता है ...और इसीलियें मुझे गर्व है के माफ़ करना
और वोह भी दुश्मन को माफ़ करना ताकतवर होने के बाद भी उसका दुरूपयोग नहीं
करना खुद के प्रति तो इमानदारी है लेकिन आज के इस युग में आज की इस जनता के
सामने महामुर्खता है और खुदा से मेरी यही दुआ है के मुझे यह महामुर्खता
करने की हिम्मत मुझे मरते दम तक निभाने की ताकत दे और सब्र दे
.......................आमीन सुम्मा आमीन ....अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)