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30 मार्च 2013

"मेरा मौन गिर कर टूटा था जमीन पर


"मेरा मौन
गिर कर टूटा था जमीन पर
एक खनक के साथ
मेरी उंगलीयाँ बटोरती हैं मौन के टुकड़े
खून मेरा है ...उंगलीयाँ मेरी हैं ...ख्वाब मेरे हैं ...ख्वाहिशें तेरी हैं
जो शब्द बिखरे हैं तेरे हमशक्ल से क्यों हैं ?
इन शब्दों की आहत सी आहट में संगीत सुनो तो सुन लेना
उसमें धड़कन मेरी भी शामिल है
वह शब्द रक्त से व्यक हुए हैं
सपने मेरे सिसकी तेरी भी शामिल है
आवारा अहसास हमारा लाबारिस है." ----राजीव चतुर्वेदी

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