Manish Satpal Verma
हम ऐसा देश बनाएँ
आओ इस जग को मिलकर हम अपनी गूँज सुनाएँ,
रहे देखता सारा जग हम ऐसा देश बनाएँ |
हर तिनके में एक किरण जहाँ चमके आज़ादी की,
आसमान को छूने की इच्छा हो हर वादी की |
सूर्य उगे तो उजियाला करदे कोने-कोने में,
सांज ढले तब रहे न कोई बैठा किसी कोने में |
एक हो हर मन और एक हो सारी मानवजाति,
एक जहाँ हर दिल की धड़कन, एक ही ताल मिलाती |
भाईचारा एक धर्म हो, न हो इसके हिस्से,
धर्म नाम पर शर्मनाक न कर्म रहे न किस्से |
राम, रहीम, गुरदीप, जोर्ज भी सब मिलजुलकर खेले,
नए क्षितिज पर लगते रहे, नए रंगों के मेले |
आँधी-तूफानों में हम, डटे रहे हिम्मत से,
धूल चटा दे दुश्मन को, मिलकर अपनी ताकत से |
अमर शहीदों की कुर्बानी, कोई कभी न भूले,
देशप्रेम के फूल हमेशा, डाल-डाल पर झूले |
एक हाथ में संस्कृतियों की आभा सुन्दर साजे,
हाथ में दूजे आधुनिक विज्ञान की वीणा बाजे |
टेक निभाए एक-एक जन नेक इरादा करके,
सेंक-सेंक फिर फूंक-फूंक, सब खाएँ रोटी करके |
गड्ढे में गिर जाएँ न हम, मूंदी आँखें खोलें,
मन को और वतन को कोई, रुपयों में न तोले |
झगड़े कोई अपनों से तो खुद ही उसे मनाले,
घर को मंदिर और बड़ों को अपना ईश बनाले |
कलम उठाए हर कोई, शिक्षा हो हर बच्चे की,
दुत्कारे झूठे को सब जन, कदर करें सच्चे की |
ऊंचनीच में भेद न हो, ना छेद हो दीवारों में,
रह ना जाए खेद कहीं पर मन की फूहारों में |
रुके नहीं हम, झुके नहीं हम, चूकें न मंजिल से,
सच्ची लगन, परिश्रम आए खिलखिलकर हर दिल से |
रंग-रूप-गुण अपने देश के दुनिया को हम गिनाएँ,
रहे देखता सारा जग हम ऐसा देश बनाएँ,
रहे देखता सारा जग हम ऐसा देश बनाएँ |
हम ऐसा देश बनाएँ
आओ इस जग को मिलकर हम अपनी गूँज सुनाएँ,
रहे देखता सारा जग हम ऐसा देश बनाएँ |
हर तिनके में एक किरण जहाँ चमके आज़ादी की,
आसमान को छूने की इच्छा हो हर वादी की |
सूर्य उगे तो उजियाला करदे कोने-कोने में,
सांज ढले तब रहे न कोई बैठा किसी कोने में |
एक हो हर मन और एक हो सारी मानवजाति,
एक जहाँ हर दिल की धड़कन, एक ही ताल मिलाती |
भाईचारा एक धर्म हो, न हो इसके हिस्से,
धर्म नाम पर शर्मनाक न कर्म रहे न किस्से |
राम, रहीम, गुरदीप, जोर्ज भी सब मिलजुलकर खेले,
नए क्षितिज पर लगते रहे, नए रंगों के मेले |
आँधी-तूफानों में हम, डटे रहे हिम्मत से,
धूल चटा दे दुश्मन को, मिलकर अपनी ताकत से |
अमर शहीदों की कुर्बानी, कोई कभी न भूले,
देशप्रेम के फूल हमेशा, डाल-डाल पर झूले |
एक हाथ में संस्कृतियों की आभा सुन्दर साजे,
हाथ में दूजे आधुनिक विज्ञान की वीणा बाजे |
टेक निभाए एक-एक जन नेक इरादा करके,
सेंक-सेंक फिर फूंक-फूंक, सब खाएँ रोटी करके |
गड्ढे में गिर जाएँ न हम, मूंदी आँखें खोलें,
मन को और वतन को कोई, रुपयों में न तोले |
झगड़े कोई अपनों से तो खुद ही उसे मनाले,
घर को मंदिर और बड़ों को अपना ईश बनाले |
कलम उठाए हर कोई, शिक्षा हो हर बच्चे की,
दुत्कारे झूठे को सब जन, कदर करें सच्चे की |
ऊंचनीच में भेद न हो, ना छेद हो दीवारों में,
रह ना जाए खेद कहीं पर मन की फूहारों में |
रुके नहीं हम, झुके नहीं हम, चूकें न मंजिल से,
सच्ची लगन, परिश्रम आए खिलखिलकर हर दिल से |
रंग-रूप-गुण अपने देश के दुनिया को हम गिनाएँ,
रहे देखता सारा जग हम ऐसा देश बनाएँ,
रहे देखता सारा जग हम ऐसा देश बनाएँ |
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