आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

30 मार्च 2013

इस क़दर तुम तो अपने क़रीब आ गए,

Manish Satpal Verma
इस क़दर तुम तो अपने क़रीब आ गए,कि तुम से बिछड़ना गवारा नहीं
ऐसे बांधा मुझे अपने आगोश में,कि ख़ुद को अभी तक सँवारा नहीं
अपनी ख़ुश्बू से मदहोश करता मुझे,दूसरा कोई ऐसा नज़ारा नहीं
दिल की दुनिया में तुझको लिया है बसा,तुम जितना मुझे कोई प्यारा नहीं
दिल पे मरहम हमेशा लगाते रहे,आफ़तों में भी मुझको पुकारा नहीं
अपना सब कुछ तो तुमने है मुझको दिया,रहा दिल तक तो अब ये हमारा नहीं
हमसफ़र तुम हमारे हमेशा बने,इस ज़माने का कोई सहारा नहीं
साथ देते रहो तुम मेरा सदा,मिलता ऐसा जनम फिर दुबारा नहीं

1 टिप्पणी:

  1. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त

    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...