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30 मार्च 2013

हम सब स्वर्गीय हो जाएँ ।

Manish Satpal Verma
आओ हम सब मिलकर इस धरती को स्वर्ग बनाएँ,
हम सब स्वर्गीय हो जाएँ ।

सुना है, वहाँ स्वर्ग में झगड़े नहीं होते,
छोटी-छोटी बातों में रगड़े नहीं होते ।
इस दुनिया से तो हम झगड़ों को मिटा ना सके,
खुद भी इस तरह उलझे, कि चाह कर भी सुलझा न सके ।
तो आओ हम सब मिलकर इस धरती को स्वर्ग बनाएँ,
हम सब स्वर्गीय हो जाएँ ।

सुना है, स्वर्ग में बोलते है सब मौन की भाषा,
सब समझते है, एक-दूसरे की मन की अभिलाषा ।
यहाँ आज़ चर्चा होती रहती है कि किसने क्या कहाँ ?
उसने क्यों कहाँ? उसने कैसे कहाँ? उसने कब कहाँ?
शब्द दिया प्रभु ने हमें, मन की खुशी को व्यक्त करने को,
हमने बना डाला शब्दों को तीर-तलवार, मनों को छलनी करने को ।
तो आओ हम सब मिलकर इस धरती को स्वर्ग बनाएँ,
हम सब स्वर्गीय हो जाएँ ।

समस्त जीवन भर, हम कहते-सुनते रहते है, कि
ये करोगें तो नरक में जाओगे, वो करोगें तो नरक में जाओगे,
पर बाद मरने के, कोई नहीं कहता है कि वो नरकवासी हो गया ।
चाहे हो धर्म या फ़िर हो ज्ञान, सब बता रहे है यही कि
इस समय, जीवन घोर नरक हो गया है इस युग में ।
तो आओ हम सब मिलकर इस धरती को स्वर्ग बनाएँ,
हम सब स्वर्गीय हो जाएँ ।

बीमारी, गरीबी, भूख-प्यास, हर तरफ़ बढ़ते हुए अत्याचार-अनाचार,
जीवन की दौड़ में खोता हुआ बाल-पन, भ्रमित यौवन,
बिसराया हुआ वृद्धापन, अपने को समझने की कोशिश में करता हुआ पौढ़ापन ।
ये उजड़ते हुए वन, सुकड़ती हुई नदियां, पिघलती हुई बर्फ़,
हर तरफ़ उमड़ता हुआ काल का कोलाहल, बदलती हुई धरती,
पिघलता हुआ आसमान, इन सब को तो शायद अब हम रोक ना पायेगें,
इस जीवन को, इस धरती को, इस आसमान को, इस मन को,
हम दिन-प्रतिदिन और नारकीय बनाते जायेगें ।
तो आओ हम सब मिलकर इस धरती को स्वर्ग बनाएँ,
हम सब स्वर्गीय हो जाएँ ।

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