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17 मार्च 2013

शिव को कहते हैं "पशुपति", पर ऐसे नाम की यह वजह आप नहीं जानते होंगे


 
हिन्दू शैव (शिव की महिमा बताने वाले) ग्रंथों के मुताबिक शिव लीला ही सृष्टि, रक्षा और विनाश करने वाली है। शिव साकार भी है और निराकार भी।  वे  जन्म और मृत्यु से भी परे हैं यानी अनादि व अनन्त हैं  इसलिए भगवान शिव की भक्ति कल्याणकारी होती हैं।
 
भगवान शिव को ऐसे विलक्षण शक्तियों और स्वरूप के कारण पशुपति नाम से भी पुकारा जाता प्रमुख है। आखिर कौन सी अद्भुत शक्तियां शिव के इस नाम से जुड़ीं हैं, इनका रहस्य शिव पुराण में बताया गया है। डालिए एक नजर - 
 
शिव पुराण के मुताबिक भगवान ब्रह्मदेव से लेकर सभी सांसारिक जीव शिव के पशु हैं। इनके जीवन, पालन और नियंत्रण करने वाले भगवान शिव हैं। इन पशुओं के पति यानी स्वामी होने से ही शिव पशुपति हैं। 
 
भगवान शिव ही इन पशुओं को माया और विषयों द्वारा बंधन में बांधते हैं। इनके द्वारा शिव ब्रह्मा सहित सभी जीवों को कर्म से जोड़ते हैं। पशुपति द्वारा ही बुद्धि, अहंकार से इन्द्रियां व पंचभूत बनते हैं, जिससे देह बनती हैं। इसमें बुद्धि कर्तव्य और अहंकार अभिमान नियत करती है। साथ ही चित्त में चेतना, मन में संकल्प, ज्ञानेन्द्रियों द्वारा अपने विषय और कर्मेन्दियों द्वारा अपने नियत कर्म पशुपति की आज्ञा से ही संभव है। 
 
पशुपति ही आराधना और भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्म से लेकर कीट आदि पशु सभी को जन्म-मरण और सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त करते हैं।

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