आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

02 मार्च 2013

घिरा रहता हूँ तुम्हारी यादों से इस तरह

Atul Kanakk
घिरा रहता हूँ तुम्हारी यादों से इस तरह
कि अकेला होने की फुर्सत ही नहीं मिलती/
यादों के सम्माहेन को तोड़ने का मन नहीं करता,
मन नहीं करता अपने आसपास बिखरे सन्नाटे को तोड़ने का
मग़र बात भी ज़रूरी है शायद
तो आओ, आज फिर हम एक दूसरे के बारे में सोच कर
एक दूसरे से संवाद करें/
छोड़ो न चुगलखोर शब्दों को एक तरफ
आओ, हम खमोश यादों के साथ एक दूसरे से बात करें।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...