रांका ज्वेलरी डिजाइनर हैं और उनका परिवार इस कारोबार में पिछले 133 साल से है। वे कहते हैं इस शर्ट की योजना से लेकर इसके तैयार होने तक सफर बेहद रोमांचक रहा। चार गनमैन के घेरे में सिली गई यह।
दत्ता फुगे पिंपरी-चिंचवाड़ के बड़े कारोबारी और साहूकार हैं। कमाई का बड़ा हिस्सा वे सोने में ही निवेश करते आए हैं। इसलिए रांका से पहचान पुरानी थी। रांका 19 साल की उम्र से ही अपने परिवार का यह बिजनेस संभाल रहे हैं। उन्हें सोने के गहने बनाने, उनकी तकनीक के बारे में जानकारी जुटाने, सीखने समझने का बेहद शौक है।
दत्ता जब निवेश की सलाह लेने पहुंचे तो रांका ने सोने की शर्ट बनाने का आइडिया दिया। जो उन्हें राजाओं के कवच देखकर आया था। ज्वेलरी बनाने की पुरानी किताबों में जिक्र मिला था कि लोहे के भारी कवच को आरामदेह बनाने के लिए भीतर कपड़ा लगाया जाता था।
दत्ता ने 'हां' कर दी। ये सब दिसंबर के पहले हफ्ते में तय हुआ। अब दत्ता चाहते थे कि शर्ट उन्हें 21 दिसंबर से पहले मिल जाए ताकि वे उसे शादी की सालगिरह पर पहन सकें।
करीब 15 दिन का समय था। रांका काम में जुट गए। वर्कशॉप से 50 साल पुराने डाई (सांचे) निकाले। इन्हीं सांचों का इस्तेमाल शर्ट बनाने में हुआ।
वे बताते हैं उन्होंने शर्ट बनाने का जिम्मा राजू मंडल के नेतृत्व में 16 बंगाली कारीगरों की टीम को सौंपा। देश के 50 प्रतिशत गहनें बंगाली कारीगर ही तैयार करते हैं। उनके हुनर की ख्याति दुनिया में है।
रांका वे 15 दिन याद करते हैं जब हर रात दुकान से घर जाने से पहले वह वर्कशॉप में जाकर शर्ट की प्रोग्रेस देखते। शर्ट की हर बारीकी पर कारीगरों से बात करते। लेकिन जब दत्ता अपनी शर्ट देखने की बात करते, तो उन्हें मना कर देते।
कहते फोन पर ही पूछ लो जो पूछना है। रांका बताते हैं ऑर्डर फाइनल होने के बाद वह केवल एक बार शर्ट का नाप लेते समय उनसे मिले।
ACHCHHA AISE BHI LOG HAIN...MAZA AAYA PADH KAR.
जवाब देंहटाएं